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Thursday 13 November 2014

हीरा है अगर बेटा, तो मोती है बेटिया...


जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में चल रहे अंतर विभागीय/संकाय सांस्कृतिक प्रतियोगिता झंकार 2014 के दूसरे दिन थियेटर प्रतियोगिता में प्रतिभागियों की प्रस्तुति ने श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। कृष्ण सुदामा मिलन पर जहां लोगों की आंखें भर आयी वहीं हीरा है अगर बेटा, तो मोती है बेटिया... जैसे सामाजिक संदेश वाले नाटकों ने लोगों को सोचने पर विवश किया। प्रतियोगिता का शुभारम्भ मुख्य अतिथि वित्त अधिकारी अमर चंद्र, प्रो. रामजी लाल, शिक्षक संघ अध्यक्ष डा. अनिल प्रताप सिंह एवं डा. मनोज कुमार सिंह ने दीप प्रज्जवलित कर किया।
मुख्य अतिथि वित्त अधिकारी अमर चन्द्र ने कहा कि विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत किये गये नाटक उनकी कलात्मक अभिव्यक्ति को बखूबी प्रदर्शित करते है। प्रो. रामजी लाल ने प्रतिभागियों द्वारा नाटक में उठाये गये मुद्दों की सराहना की। दूसरे दिन की प्रतियोगिता में नौ नाटक और चार मूक अभिव्यक्ति का मंचन हुआ। नाटकों में कृष्ण सुदामा मिलन गोविंद मिश्र ग्रुप, अनपढ़ नारी शिक्षा एमएपी ग्रुप, लाजो का स्वयंवर द बफर ग्रुप, भ्रष्टाचार द इनवारमेंटल ग्रुप, दहेज प्रथा प्रेम प्रकाश ग्रुप, बड़े घर की बेटी इंजाइम सबस्ट्रैक्ट काम्प्लेक्स ग्रुप, बदला या बदलाव ट्रांजीसन ग्रुप एव ंदहेज प्रथा व विद्रोह नाटक रामचंदर नागर ग्रुप द्वारा प्रस्तुत किये गये।
दूसरे दिन की प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में डाॅ. आशुतोष सिंह, डा. अवध बिहारी सिंह व शुभ्रा मल्ल रहीं। कार्यक्रम का संयोजन डाॅ. राजेश कुमार ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डा. एचसी पुरोहित ने किया। इस अवसर पर डा. अविनाश पार्थडिकर, डा. एसके सिन्हा, डा. वंदना राय, डा. प्रदीप कुमार, डा. एसपी तिवारी, डा. मनोज मिश्र, डा. दिग्विजय सिंह राठौर, डा. विवेक पाण्डेय समेत तमाम छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

एक अख़बार जिसमे सिमटा सारा संसा

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