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Monday 5 November 2018

जौनपुर : सेवा निवृत्त विकास अधिकारी डॉ के.के. सिंह की विदाई समारोह कार्यक्रम शाखा परिसर में आयोजित


भारतीय जीवन बीमा शाखा कार्यालय प्रथम उमरपुर जौनपुर में सेवा निवृत्त विकास अधिकारी डॉ के.के. सिंह की विदाई समारोह कार्यक्रम शाखा परिसर में आयोजित किया गया।
डॉ के.के. सिंह जी सन 1993 से भारतीय जीवन बीमा कार्यलय में विकास अधिकारी के पद पर कार्यरत थे साथ ही साथ अपने संवर्ग की क्लास 2 यूनियन के NFIFW वाराणसी के मण्डल अध्यक्ष एवम महासचिव के महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए भी  भारतीय जीवन बीमा से अभिकर्ता और विकास अधिकारी के लिए अनेको कार्य किये।
बिदाई समारोह कार्यक्रम में भरतीय जीवन बीमा निगम वाराणसी मण्डल के वरिष्ठ मण्डल प्रबन्धक श्री शिव गोविंद त्रिपाठी, मार्केटिंग मैनेजर जी.पी. सिंह, प्रबन्धक विक्रम NFIFW राष्ट्रीय महासचिव श्री विबेक सिंह, NFIFW उत्तर मध्य क्षेत्र के क्षेत्रीय अध्यक्ष नवीन झिंगरन, क्षेत्रीय सचिव संजय शाही, सीमापवर्ती मण्डल गोरखपुर, लखनऊ, फैजाबाद, इलाहाबाद, तथा वाराणसी मंडलों के NFIFW  के मण्डलीय अध्यक्ष एवम सचिव  तथा जौनपुर के शाखा प्रबंधक संजय  सिंह ,
विकास अधिकारी अम्बुज श्रीवास्तव, आशीष श्रीवास्तव, विजेंद्र सिंह, एस के सिंह, ओपी सिंह, अभिनंदन सिंह, एवम  शाखा के समस्त कर्मचारी, विकास अधिकारी, अभिकर्ता गण उपस्थित रहें।

जौनपुर : बिना मानदेय के शिक्षा प्रेरक कैसे मनायेंगे दिवाली:- राज यादव



आदर्श लोक शिक्षा प्रेरक वेलफेयर एसोसिएशन जनपद जौनपुर जिला उपाध्यक्ष राज यादव ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि साक्षर भारत कार्यक्रम योजना के अंतर्गत प्रदेश के लभगग एक लाख एवम जनपद जौनपुर के 3028 शिक्षा प्रेरको को लगभग दो वर्ष का बकाया जिनका मानदेय देने के बजाय केंद्र सरकार एवम राज्य सरकार ने पिछले दो वर्ष से बस अस्वासन की घुट्टी पिलाये पड़ी है।
जबकि शिक्षा प्रेरक प्रदेश सहित समस्त जिलों में धरना प्रदर्शन आमरण अनशन, भूख हड़ताल जैसे आंदोलन कर के सत्ता पक्ष के विधयाक, सांसद, मंत्री, को मांग पत्र सौप कर बकाये मानदेय की गुहार लगाते रहे लेकिन दो वर्ष बीत जाने के बाद भी मानदेय नही मिल सका।
और आज यह स्थिति यह आ गई है कि दिवाली का त्यौहार आ गया है एक तरफ लोगो के घर दीपो से जगमगाएंगे वही दूसरी तरफ प्रदेश के एक लाख शिक्षा प्रेरको की दिवाली बिना मानदेय के अंधेरे में ही गुजर जायेगी।
दुखद बात तो यह कि जिन शिक्षा प्रेरको का दो वर्ष का मानदेय नही दिया जा रहा है उन्ही शिक्षा प्रेरको को पिछले 31 मार्च 2018 को संविदा भी समाप्त कर दी गई है
बकाये मानदेय के आभाव में तथा नौकरी जाने के बाद अब शिक्षा प्रेरक आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे है।