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Thursday 5 March 2020

एपीओ पर कार्रवाई का डीएम को,एसओ पर कार्यवाही का एसपी को आदेश



एपीओ पर कार्रवाई  का  डीएम को,एसओ पर कार्यवाही का एसपी को आदेश

दुष्कर्म के मामले में घटना झूठी पाते हुए विवेचक ने वादिनी पर दर्ज कराया एनसीआर

विवेचना की अनुमति मांगने के प्रार्थना पत्र  को कोर्ट ने अविधिक बताते हुए दिया आदेश
जौनपुर-सुरेरी थाना क्षेत्र के दुष्कर्म के मुकदमे में विधिक अनियमितता को लेकर न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वितीय ने  सहायक अभियोजन अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही के लिए जिलाधिकारी व एसपीओ  को तथा थानाध्यक्ष सुरेरी के खिलाफ कार्यवाही के लिए पुलिस अधीक्षक को आदेश दिया।प्रकीर्ण वाद भी दर्ज किया गया। 

सुरेरी थाना क्षेत्र में विवाहिता ने अपने जेठ पर दुष्कर्म का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया था।पुलिस ने विवेचना में घटना झूठी पाते हुए आरोपी को क्लीन चिट दिया एवं फाइनल रिपोर्ट लगा दिया तथा वादिनी के खिलाफ झूठा साक्ष्य देने के कारण एनसीआर दर्ज  कराया।एनसीआर की विवेचना के लिए कोर्ट की अनुमति आवश्यक होती है। यह सोचकर विवेचक ने कोर्ट में विवेचना की अनुमति का प्रार्थना पत्र दिया।एपीओ ने प्रार्थना पत्र का समर्थन करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष की तरफ से पुलिस प्रपत्रों का न्यायालय के समक्ष समर्थित करते हुए प्रस्तुत कर देने का दायित्व है जिस पर विचार करना न्यायालय का कार्य है कि वह पोषणीय है अथवा नहीं।न्यायालय ने धारा195 व 340 का हवाला देते हुए आदेश दिया कि न्यायालय के समक्ष कार्यवाही या साक्ष्य के दरम्यान पाया जाने वाला ऐसा अपराध जो 195(1) बी सीआरपीसी से भी संबंधित है,के संबंध में फौजदारी परिवाद की कार्यवाही का उपबंध प्रदान करती है।प्रार्थना पत्र में प्रथम दृष्टया ऐसा कोई उपबंध नहीं दिखाई पड़ता कि पुलिस द्वारा स्वत: संज्ञान ले,ऐसे प्रकरण में एनसीआर दर्ज कर न्यायालय से विवेचना की अनुमति  प्राप्त करे।कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि एपीओ का विधिक कर्तव्य है कि वह प्रभारी निरीक्षक को अपने कर्तव्य का पालन करने के लिए विधिक राय प्रदान करते लेकिन उन्होंने अपने पदीय कर्तव्य का निर्वहन न करते हुए प्रार्थना पत्र को समर्थित करते हुए प्रस्तुत किया जो विधि सम्मत नहीं है और एपीओ ने पदीय कर्तव्य में लापरवाही किया है।