विज्ञापन 1

विज्ञापन 1
1 विज्ञापन

Sunday 26 August 2018

राजनीति में अपराध


मंथन ।।
राजनीति में अपराध और अपराधियों का जुड़ाव की चर्चा में अब पर्देदारी नही रह गई। क्योंकि जब केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने खुद इस बात को स्वीकार किया कि पूरे देश के जनप्रतिनिधियों पर 3045 मामले जो की आपराधिक श्रेणी  हैं, चल रहे हैं ।यह संख्या और आंकड़े इसीलिए भयावह है कि यह पूरे देश की जनप्रतिनिधियों की संख्या का एक तिहाई से ज्यादा है। इस मामले में यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी पूरे देश में किसी भी तरह का बड़ा आर्थिक, सामाजिक या फिर व्यावसायिक अपराध का मामला सामने आता है तो उसका राजनीति कनेक्शन जरूर मिलता है ।इस का सबसे ताजा और प्रभावी उदाहरण पिछले दिनों देश के कई राज्यों के शेल्टर होम प्रकरण के खुलासे हैं। यह बात ना केवल राजनीति के अपराधीकरण को प्रमाणित करती है बल्कि यह बताती है कि यह दोनों चीजें दूध और पानी की तरह मिल गई है। हालांकि राजनीतिक अपराधीकरण को लेकर देश की सर्वोच्च अदालत बेहद चिंतित है ।लेकिन इस समस्या से कैसे निपटा जाए इस पर सिस्टम एकमत  होते कोई दिख नहीं रहा है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा चाहते हैं की निर्वाचन आयोग पहल करें और आपराधिक मामलों में लिप्त उम्मीदवारों चुनाव चिन्ह भी ना दे ।वहीं कुछ दूसरे न्यायाधीशों का विचार है ऐसी प्रावधान से संभावित उम्मीदवारों पर आरोपों की झड़ी लग जाएगी । जिससे नई समस्याएं पैदा होने लगेगी।दुसरी तरफ केंद्र सरकार का पक्ष रखने वाली अटॉर्नी जनरल के के वेड़ू गोपाल का मत है न्यायपालिका की यह पहल विधायिका के कार्य क्षेत्र में सीधा अतिक्रमण है।
इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि सामाजिक समस्या हो या राजनीतिक समस्या, उसका समाधान अदालतें नहीं कर सकतीं. कानून बनाकर संसद भी उसका समाधान नहीं कर सकती क्योंकि कानून पर अमल भी तभी हो सकता है जब उसे लागू करने वालों में इसके लिए अपेक्षित इच्छाशक्ति हो और क़ानून पर अमल करने के लिए अनुकूल माहौल भी तैयार किया जाए. संविधान में छुआछूत को गैरकानूनी घोषित किया गया है और सभी नागरिकों को सामान अधिकार दिए गए हैं लेकिन क्या आजादी के 71 साल बाद भी समाज से छुआछूत मिट सकी है और क्या जाति-भेद और जाति-श्रेष्ठता पर आधारित दलित उत्पीड़न समाप्त हो सका है? क्या महिलाओं को हर क्षेत्र में बराबरी मिल सकी है और क्या अल्पसंख्यकों को भेदभाव से छुटकारा मिल सका है?

ह्त्या, बलात्कार और अपहरण जैसे गंभीर अपराधों के मुकदमे बड़ी संख्या में विधायकों और सांसदों के खिलाफ चल रहे हैं. कानूनन जब तक वे अदालत में अंतिम रूप से दोषी नहीं ठहरा दिए जाते, तब उन्हें चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सकता. इस समय लालू प्रसाद यादव ही एक ऐसे नेता हैं जो जेल काट रहे हैं और चुनाव नहीं लड़ सकते.

इस प्रवृत्ति को तभी रोका जा सकता है जब समूचा राजनीतिक वर्ग राजनीति में शुचिता को पुनर्स्थापित करने के लिए कृतसंकल्प हो जाए. वरना गेंद संसद, निर्वाचन आयोग और सुप्रीम कोर्ट के पालों में ही घूमती रहेगी..।
इस संदर्भ में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा टिप्पणी काबिलेगौर है क्या हम हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे

अनियंत्रित कार पेड़ से टकराई, सात घायल


राखी बंधवाकर वापस लौटते हुए हुआ हादसा ।

 जौनपुर। नगर के लाइन बाजार थाना क्षेत्र अंतर्गत नईगंज निवासी अपनी बेटी के घर से राखी बंधवाकर वापस लौटते समय इलाहाबाद निवासी  परिवार सड़क दुर्घटना का शिकार हो गया। इस दुर्घटना में एक ही परिवार के सात सदस्य घायल हो गए हैं। जिनमें से दो की हालत गंभीर बताई जातीहै ।जिनको डॉक्टर ने जिला अस्पताल रेफर किया है।  एक बाइक  सवार को बचाने के चक्कर में फोर्ड फिजो कार अनियंत्रित होकर सड़क किनारे पेड़ से टकरा गई। प्राप्त जानकारी के अनुसार मछलीशहर कोतवाली क्षेत्र के रायबरेली-जौनपुर मार्ग स्थित परसुपुर गांव के पास हादसा हुआ है।

इलाहाबाद के झूसी त्रिवेणीपुरम निवासी अच्चीतानन्द उपाध्याय (80) अपने बेटे नरेंद्र उपाध्याय (40), ओंकारनाथ (36), पौत्र मानस उपाध्याय (14) तथा अभिनव (14), पौत्री स्मिता (18) के साथ कार चालक हरिकेश दुबे (30) को लेकर नईगंज जौनपुर स्थित बेटी के घर से राखी बंधवा कर लौट रहे थे। जब वाहन उक्त गांव के पास सड़क से गुजर रहा था उसी समय एक बाइक सवार को बचाने के चक्कर में कार अनियंत्रित होकर सड़क किनारे पेड़ से टकराकर पलट गयी। घटना में उक्त सभी लोग घायल हो गये। सूचना पाकर पुलिस एवं हाइवे अथारिटी की एम्बुलेंस मौके पर पहुँची और सभी घायलों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। जहां से मानस और ओंकारनाथ को गम्भीर चोट आने से हालत गंभीर देखते हुए चिकित्सकों ने जिला अस्पताल रेफर कर दिया है। शेष घायल परिवार के सदस्यों की हालत सामान्य है।
जिन्हें प्राथमिक उपचार के बाद वापस घर भेज दिया गया

रस्साकशी दिवस पर विशेष

रस्साकशी दिवस पर विशेष


वैसे तो पूरी जिंदगी रस्साकशी चलती रहती है। लेकिन मैं उस रस्साकशी की बात नहीं कर रहा हूं ।मैं आपको आपका बचपन याद दिलाना चाहता हूं ।जब स्कूली दिनों में विशेषकर राष्ट्रीय पर्वों पर  या विद्यालय के वार्षिक उत्सव के दौरान एक खेला जाता था ।जिसमे दो प्रतिद्वंदियों टीम एक रस्से को खींच कर आपने  पक्ष में करने का प्रयास करती थी। प्रतिस्पर्धा के दौरान दोनों टीमें अपने दमखम, खेल कौशल और टीम वर्क का बेहतरीन प्रदर्शन करते थे। आज उसी रस्साकशी का विशेष दिवस है। प्रत्येक वर्ष 27 अगस्त को 'रस्साकशी दिवस' मनाकर इस खेल की उत्पत्ति और इसकी गौरवमई इतिहास को याद किया जाता है। यह ऐसा खेल है जो पूरी दुनिया में खेला जाता है। इसका लंबा और प्राचीन इतिहास है ।इस खेल में 1574 प्रतिभागियों ने एक साथ मिलकर इसका विश्व रिकॉर्ड बना रखा है।

लायंस व लायनेस क्लब जौनपुर गोमती की महिलाओं ने पुलिस के जवानों कि हाथों की कलाई में बाँधी राखी


जौनपुर।  पुलिस के जवानों व स्थानीय महिलाओं के लिए रक्षाबंधन का पर्व किसी सपने जैसा था शहर कोतवाली में लायंस व लायनेस क्लब जौनपुर गोमती की महिलाओं ने पुलिस के उन जवानों कि हाथों की कलाई में राखी बांधकर ना सिर्फ अपनी सुरक्षा करने का वचन दिया बल्कि समाज में हर बुराइयों वह महिलाओं की सुरक्षा करने का भी वचन लिया पुलिस के आला अधिकारियों ने भी सभी को वचन दिया कि वह अपने कर्तव्य का पालन करते हुए समाज के सभी वर्गों की सुरक्षा का दायित्व अपने प्राणों की आहुति दे कर निभाते रहेंगे। शहर कोतवाली में मौजूद सीओ सिटी निपेन्द्र कुमार शहर कोतवाल विनय प्रकाश सिंह,इंस्पेक्टर रमेश यादव सहित  अन्य पुलिस के सारे जवानों अधिकारी महिलाओं व बच्चों से अपने हाथों की कलाइयों पर राखी बनवाने के लिए खड़े हैं दिन रात हम सबों की सुरक्षा में तैनात इन पुलिस के जवानों को घर जाने की छुट्टी नहीं मिल सकी जहां उनकी बहनें हाथों में राखी  लिए हुए उनके आने के इंतजार करती रहती हैं पर आज लायंस क्लब गोमती की महिलाओं ने उनके इन सपनों को पूरा किया और राखी लेकर वैसी दे कोतवाली पहुंची और पुलिस के आला अधिकारियों सहित सभी जवानों को हाथों की कलाइयों पर राखी बांधकर ना सिर्फ अपनी सुरक्षा बल के समाज में फैली बुराइयों को दूर करने का वचन भी लिया.  वहीं पुलिस के आला अधिकारियों ने भी इन महिलाओं व बच्चों को यह भरोसा दिया कि वह समाज में फैली बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ इनकी सुरक्षा का दायित्व भी अपने प्राणों की आहुति दे कर निभाते रहेंगे।                                            आज जिस तरह से पूरे देश में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देकर केंद्र व प्रदेश की सरकारें काम कर रही हैं उसमें पुलिस के गिरते आत्मविश्वास व महिलाओं उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं को रोक ने के लिए ऐसे कार्यक्रम जवानों में आत्मविश्वास भरने का काम करेगा जिससे कि समाज में फैली बुराइयों को पुलिस मिलकर आपसी सौहार्द असमंजस बनाकर दूर कर सके वहीं पुलिस के जवानों में मैं भी अपने घर हूं पर ना जाकर इन महिलाओं से अपनी कलाइयों पर राखी बंधवाने के बाद जो खुशी नजर आए वह काबिले तारीफ थी। उक्त कार्यकम मे लायन्स मण्डल अधिकारी प्रतिमा गुप्ता, तसनीम जैदी, अंजू उपाध्याय,लायनेस अध्यक्ष प्रतिमा साहू,अरुणा गुप्ता, सुनीता पाठक,ज्योती शाह,रीता केसरवनी,संगीता अग्रवाल,खुशबू साहू तसनीम फात्मा,अनुष्का,सुरुती,अन्न्या,संस्कृति,
समृध्दि आदि महिलाओ ने पुलिस जावानो को राखियाँ बाँधी। कार्यक्रम मे मुख्य रूप से लायन्स रीजन चेयरपर्सन ला• मनीष गुप्ता,लायन्स गोमती के अध्यक्ष गणेश साहू,अशोक गुप्ता,हसनैन कमर दीपू , लाड़ले जैदी, धन्न्जय पाठक,जागेश्वर जी,सुभाष आदि जनमानस उपस्थित रहे।