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Thursday 13 November 2014

वादे हैं, वादों का क्या

जौनपुर। तिलकधारी सिंह महाविद्यालय के छात्रसंघ चुनाव के नामांकन जुलूस के साथ ही उम्मीदवारों ने छात्र-छात्राओं के आगे वादों की झड़ी लगानी शुरू कर दी है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में छात्र नेताओं ने जिस तरह से चुनाव जीतने के बाद वादों को भूलना शुरू किया, उससे छात्र-छात्राएं आहत हैं। उनका कहना है कि छात्रनेता ऐसा हो जो किए गए वादों को पूरा करे। छात्रसंघ चुनाव में जनप्रतिनिधि भी ऐसे होने चाहिए जो चुनाव को अपने लिए नहीं बल्कि छात्र-छात्राओं के हित के लिए लड़े, जिनकी बदौलत उन्हें जीत मिली है। जो वादे करें, उन्हें पूरा भी करें, लेकिन अमूमन ऐसा होता है कि छात्रनेता वादा करके भूल जाते हैं। चुनाव में हर बार छात्र-छात्राओं की समस्याओं को दूर करने और सुविधाएं मुहैया कराने के वादे किए जाते हैं, मगर बाद में सारे वादे हवा हो जाते हैं। समस्याएं जस की तस रह जाती हैं। उम्मीदवार जैसे वादा करते हैं, वैसे ही पूरा भी करें।
छात्र नेताओं ने नहीं मानी आचार संहिता
छात्रसंघ चुनाव में बुधवार को नामांकन के दौरान आचार संहिता की धज्जियां उड़ी तो आम लोगों को भी भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ा। हालांकि एक दावा यह जरूर किया जा रहा है कि पिछले दो चुनावों की तुलना में प्रत्याशियों और समर्थकों ने धैर्य का परिचय दिया। पिछले दोनों चुनाव में प्रत्याशियों और समर्थकों ने कोई सीमा नहीं छोड़ी थी लेकिन इस बार भी छात्र नेता चुनाव आचार संहिता का दायरा तोडऩे में पीछे नहीं रहे। प्रत्याशियों ने बिना अनुमति वाहन जुलूस निकाले। इन जुलूसों में पोस्टर बैनर भी शामिल रहे, जो पूरी तरह से प्रतिबंधित है। परिसर के चारों तरफ की सड़क प्रिंटेड हैंडबिल से पट गईं थीं। इतना ही नहीं जुलूस में दर्जनों बड़ी-बड़ी लग्जरी गाडिय़ां शामिल रहीं।
एक अख़बार जिसमे सिमटा सारा संसा

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