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Wednesday 28 November 2018

साक्षात्कार : मूलभूत जरूरतों को नजरअंदाज कर रही सरकार



जनपद की राजनीतिक मंच के एक स्थाई ही नहीं मुकम्मल शख्सियत का नाम है,' जगदीश नारायण राय '
चार दशकों का लंबा राजनीतिक जीवन ,बेदाग और बिंदास ।पांच बार ब्लॉक प्रमुख तो दो कार्यकाल विधायक और मायावती सरकार में पूरे 5 साल कैबिनेट मंत्री का उनका शानदार सफर शख्सियत और कद को बयान करते हैं ।हंसमुख, स्पष्ट वादी और सिद्धांत आधारित राजनीति के हामी श्री राय इस समय राजनैतिक अज्ञातवास में है। सन 1992 के विधानसभा चुनाव में मिली शिकस्त और
19 97 चुनाव के दौरान हुई त्रासदी ने उन्हें नेपथ्य में भेज दिया है ।
जौनपुर समाचार के संवाददाता हेलाल अख्तर ने उनसे राष्ट्रीय राजनीति से लेकर स्थानीय मुद्दों तक पर खुलकर बातचीत की । उन्होंने जहां एक तरफ वर्तमान केंद्र और राज्य सरकार पर   उनकी नीतियों को लेकर हमले किए ,वहीं  विपक्ष की  भूमिका के सवाल पर बचाव करते दिखे।
बातचीत के संपादित अंश

प्रश्न- देश की वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों पर आपकी क्या टिप्पणी है?
 उत्तर - मैं देख रहा हूं कि हमारा देश एक बहुत ही खतरनाक मोड़ पर आकर खड़ा हो गया है। रोटी ,कपड़ा, मकान, शिक्षा, सुरक्षा और स्वाभिमान मूलभूत जरूरते होती है ।आज हर भारतीय की यही  समस्या है ।परंतु इन मूलभूत मुद्दों पर ना तो काम हो रहा है ना ही इन पर चर्चाएं हो रही है। वास्तविक मुद्दों के स्थान पर कृतिम मुद्दों को तरजीह दी जा रही है। जिसका विकास से कोई सरोकार नहीं है ।
अखिर स्थानो का सिर्फ
नाम बदलने से कहीं विकास संभव है।
 सरकार लगातार जनहित के काम करने के दावे रही है ।चिकित्सा, शिक्षा और छत के लिए सरकार ने तमाम योजनाएं चलाई हैं।

उत्तर _बेशक सरकार योजनाएं चला रही है। लेकिन सरकार के पास आज तक यह आंकड़ा नहीं है कि कितने लोगों को मकान की आवश्यकता है ?फिर यह योजनाएं सफल कैसे हो सकती हैं?
प्रश्न - केंद्र सरकार अपने 5 साल पूरे करने जा रही है इस सरकार को आप 100 में से कितने अंक देंगे?
 उत्तर_ यह  अब तक का सबसे बड़ा धोखा है ।जो वर्तमान प्रधानमंत्री द्वारा दिया जा रहा है। सीबीआई और आरबीआई जैसी संस्थाओं में वर्तमान सरकार की दखल के मूल में गंभीर साजिशें छुपी हुई हैं ।आजादी के बाद से अब तक किसी भी राजनीतिक पार्टी की सरकार ने रिजर्व बैंक के कामकाज में ऐसा हस्तक्षेप नहीं किया। जैसा मौजूदा दौर में हो रहा है और इसके पीछे सरकार की मंशा चुनिंदा और अपने प्रिय औद्योगिक घरानों को अनुचित लाभ पहुंचाने की है।

 प्रश्न  - लोकसभा के  वर्तमान कार्यकाल के दौरान  विपक्ष की भूमिका  के परिपेक्ष में बताएं कि उसने अपनी भूमिका कितनी इमानदारी से निभाई ?आरोप है कि उनकी असहमति और विरोध सिर्फ रस्मी रहा।

उत्तर  - नहीं !विरोध रस्मी नहीं था। वस्तुतः विरोधी अपने स्वार्थ में बटे हुए हैं और उनके भीतर मैं और तू 'बड़ा' की प्रतिस्पर्धा रही। इसलिए जनहित के मुद्दों पर वि
पक्ष द्वारा दर्ज कराया गया विरोध का स्वर जनता को मजबूत नहीं दिखा।
 नई सरकार ने शपथ लेते ही विजन की बात की थी उनकी विजन थ्योरी पर आपका क्या विजन है?

उत्तर   हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री जमीन से जुड़े हुए व्यक्ति तो है नहीं। इसलिए उनको पता नहीं है कि हमारे देश की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है। ना कि बैंकिंग विकल्प पर ।जब सारा विश्व मंदी के दौर से गुजर रहा था तो इस देश को कृषि और मध्यम वर्ग की बचत ने  बचाए रखा था ।नोट बंदी के निर्णय से उन्होंने देश के किसानों और मध्यम वर्ग के पास संचित जमा पूंजी को बैंकिंग सेक्टर में निवेश करा दिया। आज इसीलिए देश के किसानों और मध्यम वर्ग की रीढ़ टूट चुकी है ।अब रिजर्व बैंक की जमा राशि परउनकी निगाहें लग चुकी है ।जबकि यह संचित निवेश देश में आपात स्थिति के लिए सुरक्षित रखा जाता है।