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Thursday 13 September 2018

हिंदी दिवस आज ।।


हिन्दी दिवस प्रत्येक वर्ष १४ सितम्बर को मनाया जाता है। १४ सितम्बर १९४९ को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी। इसी महत्वपूर्ण निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर वर्ष १९५३ से पूरे भारत में १४ सितम्बर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है।
राजभाषा सप्ताह या हिन्दी सप्ताह १४ सितम्बर को हिन्दी दिवस से एक सप्ताह के लिए मनाया जाता है। इस पूरे सप्ताह अलग अलग प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। यह आयोजन विद्यालय और कार्यालय दोनों में किया जाता है। इसका मूल उद्देश्य हिन्दी भाषा के लिए विकास की भावना को लोगों में केवल हिन्दी दिवस तक ही सीमित न कर उसे और अधिक बढ़ाना है। इन सात दिनों में लोगों को निबंध लेखन, आदि के द्वारा हिन्दी भाषा के विकास और उसके उपयोग के लाभ और न उपयोग करने पर हानि के बारे में समझाया जाता है।
कई हिन्दी लेखकों और हिन्दी भाषा जानने वालों का कहना है कि हिन्दी दिवस केवल सरकारी कार्य की तरह है, जिसे केवल एक दिन के लिए मना दिया जाता है। इससे हिन्दी भाषा का कोई भी विकास नहीं होता है, बल्कि इससे हिन्दी भाषा को हानि होती है। कई लोग हिन्दी दिवस समारोह में भी अंग्रेजी भाषा में लिख कर लोगों का स्वागत करते हैं। सरकार इसे केवल यह दिखाने के लिए चलाती है कि वह हिन्दी भाषा के विकास हेतु कार्य कर रही है। स्वयं सरकारी कर्मचारी भी हिन्दी के स्थान पर अंग्रेज़ी में कार्य करते नज़र आते हैं।
लेकिन कुछ लोगों की सोच यह भी है कि विविध कारण बताकर हिन्दी दिवस मनाने का विरोध करने और मजाक उड़ाने वाले यह चाहते हैं कि हिन्दी के प्रति रही-सही अपनत्व की भावना भी समाप्त की जाय।

हम सबके लिए हमेशा प्रेरणास्रोत बने रहेंगे अमर शहीद उमानाथ सिंह : योगी


जौनपुर (जेएसबी) ।  अमर शहीद उमानाथ सिंह की 24 वीं पुण्यतिथि पर तिलकधारी स्नातकोत्तर महाविद्यालय में उमानाथ सिंह स्मृति सेवा संस्थान द्वारा आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में मुख्यमंत्री ने श्रद्धा सुमन अर्पित किया, इस मौके पर श्रद्धाजंलि देते हुए उन्होंने कहा कि जनपद जौनपुर में चिकित्सा विश्वविद्यालय का निर्माण कराया जाएगा, जिसका नाम अमर शहीद स्वर्गीय उमानाथ सिंह पर रखा जाएगा। स्वर्गीय उमानाथ सिंह ने सार्वजनिक जीवन में एक जन प्रतिनिधि के रूप में कैसे हम समाज के लिए आदर्श बने इसका अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने वैचारिक प्रतिबद्धता एवं सामाजिक सेवाओं के द्वारा गरीबों को न्याय दिलाया। 
उक्त वक्तव्य जनपद के अमर शहीद उमानाथ सिंह की 24 वीं पुण्यतिथि पर तिलकधारी स्नातकोत्तर महाविद्यालय में उमानाथ सिंह स्मृति सेवा संस्थान द्वारा आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में मुख्य अतिथि के रुप में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय उमानाथ सिंह का व्यक्तित्व एवं कृतित्व महान था और इसीलिए उनकी देहान्त के 24 वर्षों के पश्चात भी हम उन्हें श्रद्धा के साथ याद करते हैं। माननीय मुख्यमंत्री ने कहा कि 24 वर्ष पूर्व जब तत्कालीन सरकार द्वारा व्यापारियों, मीडिया और गरीबों का दमन किया जा रहा था, प्रदेश में गुंडागर्दी लूटपाट एवं अराजकता का माहौल था तब भारतीय जनता पार्टी द्वारा सरकार के खिलाफ आंदोलन चलाया जिसमें जनपद जौनपुर में आंदोलन की अगुवाई स्वर्गीय उमानाथ सिंह ने की, वे हम सबके लिए हमेशा प्रेरणास्रोत बने रहेंगे। माननीय मुख्यमंत्री ने कहा कि जौनपुर पंडित दीनदयाल उपाध्याय की भी कर्मभूमि रही है जिनका मानना था कि साम्यवाद व समाजवाद से देश की समस्या का समाधान नहीं हो सकता बल्कि रामराज्य की अवधारणा द्वारा समाज का उत्थान किया जा सकता है। समाज के अंतिम पायदान पर बैठे हुए व्यक्ति के लिए जब तक सरकार की संवेदनाएं जागृत नहीं होगी तब तक इस देश में समानता की बात खोखली साबित होगी। इसलिए उन्होंने अंत्योदय की अवधारणा दी, जिससे समाज के अंतिम पंक्ति में बैठे व्यक्ति को सामाजिक और आर्थिक अधिकार प्राप्त हो, शासन की योजनाओं का लाभ प्राप्त हो। स्वर्गीय उमानाथ सिंह ने भी हमेशा इसी अवधारणा से प्रेरित होकर अपना संपूर्ण जीवन गरीबों, मजलूमों को न्याय दिलाने में समर्पित कर दिया।
  मा0 मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वर्गीय अटल जी ने कहा था कि सिद्धांत विहीन राजनीति मौत का फंदा है, जो व्यक्ति एवं समाज की पूर्ण क्षति करती है। वर्तमान में देश में राजनीतिक प्रतिबद्धता की विचारधारा पर आधारित दलों का अभाव वर्तमान की राजनीति संकीर्णता की प्रमुख जड़ है। शहीद उमानाथ सिंह राजनीतिक प्रतिबद्धता के कारण ही लोगों की स्मृतियों में अभी तक जीवित है जिससे हमेशा प्रेरणा मिलती रहेगी। देश एवं प्रदेश की सरकार द्वारा सरकारी योजनाओं का लाभ बिना भेदभाव के प्रत्येक पात्र व्यक्ति को दिया जा रहा है। जनधन योजना, उज्ज्वला योजना, निःशुल्क विद्युत कनेक्शन, प्रधानमंत्री आवास योजना, स्वच्छ शौचालय आदि सरकारी योजनाओं के माध्यम से गरीबों को लाभ पहुंचाया जा रहा है। जनधन योजना के तहत 30 करोड़ गरीबों के खाते खोले गए जिसमें 82 हजार करोड़ रुपया उन गरीबों द्वारा अपने खाते में जमा किया गया। सरकारी योजनाओं द्वारा दी जाने वाली धनराशि डी.बी.टी. के माध्यम से सीधे उनके खाते में जमा की जाने लगी, जिससे भ्रष्टाचार पर रोक लगी। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 2022 तक प्रत्येक गरीब को जिसके पास आवास नहीं है उपलब्ध कराया जाएगा। इस अवसर पर प्रभारी मंत्री जनपद जौनपुर प्रो0 रीता बहुगुणा जोशी ने शहीद उमानाथ सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि स्वर्गीय उमानाथ सिंह राष्ट्रवाद से ओत-प्रोत, सामाजिक न्याय के चेतना स्तंभ थे। उन्होंने पीडि़त समाज के उत्थान के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया गया । मा0 राज्यमंत्री गिरीश चंद यादव ने कहा कि शहीद उमानाथ सिंह हमेशा गरीब एवं असहाय लोगों के लिए संघर्ष करते रहे हम उनके योगदान को हमेशा याद रखेंगे। सांसद जौनपुर के.पी. सिंह ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि स्वर्गीय उमानाथ सिंह ने अन्याय के खिलाफ लड़ते हुए जनहित में अपनी प्राणों की आहूति दी। हमारे लिए उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि तभी मानी जाएगी जब हम उनके दिखाये हुए रास्ते पर चलें। सांसद मछलीशहर रामचरित्र निषाद ने कहा कि स्वर्गीय उमानाथ सिंह जी के व्यक्तित्व एवं ईमानदारी से हमें प्रेरणा मिलती है। प्रबंधक टी.डी. कॉलेज अशोक सिंह ने आए हुए अतिथियों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर विधायक केराकत दिनेश चौधरी, जफराबाद डा0 हरेंद्र प्रताप सिंह, मडि़याहूं लीना तिवारी, पूर्व विधायक सीमा द्विवेदी, रघुराज प्रताप सिंह, जिला अध्यक्ष सुशील उपाध्याय सहित पार्टी के अन्य कार्यकर्ता उपस्थित रहे

जौनपुर जनपद निवासी चिकित्सक का अभिनव प्रयोग दे रहा है जीवन दान


कानपुर  । । कहते हैं कोबरा का सगा भाई है 'सल्फास' । यह इसलिए क्यों कि दोनों के ही जहर की कोई काट नहीं । दोनों ही अचूक हैं, अमोघ है , अपने शिकार को अंजाम तक पहुंचाते हैं। वहीं यह भी किदव्न्ती  है कि कोबरा- करेत का काटा पानी मांग सकता है । झाड़ - फूंक, ओझा- सोखा, जड़ी -दवाई से जान बच सकती है, लेकिन सल्फास तो सल्फास है। पेट के अंदर पहुची और खून में घुल गई तो समझो हो गया काम खतम।
 सल्फास के जहर ने यही कारनामा दिखाया कानपुर शहर में। पिछले सप्ताह शहर कानपुर पूर्वी के a s p सुरेंद्र नाथ IPS ने जब इसे अपने गले के नीचे उतारा, तो आनन फानन में उन्हें अस्पताल ले जाया गया ।जिले के अधिकारियों के साथ उस अफसर के बैच मेट कानपुर से लेकर मुंबई सक्रिय हो गए ।सुरेंद्रनाथ की जान बचाने के हर उपक्रम किए गए ।मुंबई से क्रिटिकल केयर विशेषज्ञों की टीम एकमो मशीन के साथ चार्टर प्लेन से कानपुर पहुंची । लगभग 5 दिनों तक जीवन मोत के साथ संघर्ष करने के बाद आखिर सुरेंद्र नाथ को नहीं बचाया जा सका। हाई प्रोफाइल  होने के कारण जब यह मामला सुर्ख़ियों में आया तो एकमो मशीन की चर्चा  होना भी स्वाभाविक ही था। मूलत: यह मशीन हृदय रोग की शल्य चिकित्सा में अहम भूमिका निभाती है। इसके कारण  हृदय और फेफड़ों में कृत्रिम रूप से ऑक्सीजन की नियमितपूर्ति सुनिश्चित रहती है।
 आपको यह जानकर आश्चर्य होगा हृदय शल्य चिकित्सा में प्रयोग होने वाली यही एकमो मशीन पूरी दुनिया में सल्फास से दो दो हाथ कर रही है।
और इसे इस काबिल बनाया है जनपद के निवासी और हीरो दयानंद मेडिकल कॉलेज लुधियाना के हार्ट सेंटर के सीनियर कंसल्टेंट और देश की अग्रणी क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉक्टर विवेक गुप्ता ने। लगभग 5 वर्ष पुर्व शुरू किए गए अपने अनुसंधान के आधार पर उन्होंने इस वेश्किमती मशीन के द्वारा
 सल्फास से निकलने वाली फास्फीन गैस से दिल और फेफड़े पर पडने  वाले दुष्प्रभाव पर काबू कर जीवन रक्षा का मार्ग प्रशस्त किया। साथ ही साथ अनुसंधान कर ऐसे सर्किट का निर्माण किया जिससे इलाज सस्ता हो सके।
 कुल  51 सल्फास प्रभावित रोगियों पर
एकमो प्रोसीजर कर चुके डॉ विवेक गुप्ता अब तक 35 रोगियो को प्राण दान दे चुके है। जो पूरे विश्व में एक चिकित्सा संस्थान द्वारा एक ही विष  पर किसी भी प्रोसीजर द्वारा की गई चिकित्सा का सबसे बड़ा आँकड़ा है।
यह आंकड़ा इसमें भी प्रभावशाली हो जाता हैकि  अब तक संस्थान में सल्फास विष के जो केस पहुन्चे है वह रिफेर  केस थे।
 वस्तुतः सल्फास अथवा फास्फीन गैस के दुष्प्रभाव के केस भारत और भारतीय उपमहाद्वीप में ही मिलते हैं। भारत के अतिरिक्त पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और भूटान आदि में प्रचलित सल्फास गलतफहमी वश या फिर आत्महत्या के उद्देश्य से जब निगल ली जाती है तब इससे निकलने वाली फास्फीन गैस सबसे पहले दिल की पंपिंग क्रिया को कम कर देती है ।जिससे शुद्ध रक्त की सप्लाई बाधित होने लगती है ।परिणाम स्वरुप रक्तचाप घटने लगता है। साथ ही साथ शरीर के विभिन्न अंगों में शुद्ध रक्त न पहुंचने से ऑक्सीजन की कमी होने लगती है और क्रमशा शरीर के अंग काम करना बंद कर देते हैं ।जिससे मरीज की मौत हो जाती है ।अपने देश में ऐसी मामले उत्तर प्रदेश ,पंजाब, हरियाणा, बिहार और गुजरात में मिलते हैं। जबकि  ईरान और दूसरे तेल उत्पादक देशों में फासफ़िन गैस तेल के कुओं से निकल आती है और मनुष्य को अपनी जद में ले लेती है। इस पद्धति की बेहतरीन सफलता को देखते हुए ईरान भी अपने यहां इसका लाभ उठा रहा है

ऐसे काम करती है एकमो

जब भी फासफ़िन  प्रभावित मरीज एकमो प्रोसीजर के तहत इलाज में जाता है ,तो इस मशीन की मदद से मरीज के शरीर के खून में ऑक्सीजन की उचित मात्रा को बनाए रखा जाता है ।यह प्रक्रिया 5 से 6 दिनों तक लगातार क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ की निगरानी में दोहराई जाती है। समय से एकमो सेंटर पर पहुंचे मरीज की प्राण रक्षा में आसानी होती है जबकि देर से आए अथवा अन्य दुसरा इलाज लेकर आय हुए मरीज के बचने की संभावना कम होती है।

 एकमो से क्यों नहीं बचाई जा सकी IPS सुरेंद्र नाथ की जान

लाख कोशिशों के बाद IPS सुरेंद्रनाथ की प्राण रक्षा नहीं की जा सकी। इस मामले पर जो संभावनाएं जताई जा रही हैं। उस पर विशेषज्ञ एकमत नहीं है ।फिर भी जिन दो महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विशेषज्ञ एकमत है उनमें प्रमुख है एकमो प्रोसीजर इस्तेमाल करने का  निर्णय लेने में पर्याप्त देर  हुई। और दूसरा यह निर्णय भी गलत हुआ कि मरीज को एकमो सेंटर भेजने के बजाय व्यवस्थाएं कानपुर मंगवाई जाय । अगर समय रहते एकमो प्रोसीजर से इलाज शुरू हो जाता तो शायद सुरेंद्रनाथ की जान बचाई जा सकती थी।

इलाज आम आदमी के लिए बनाया - डॉ विवेक 

एकमो  का अभिनव प्रयोग कर सल्फास और  फसफ़िन प्रभावित मरीजों को जीवन दान देकर अन्तररास्ट्रीय ख्याति बटोर चुके डॉ विवेक गुप्ता का कहना है कि 5 वर्ष पूर्व जब उन्होंने हार्ट  सेंटर पर काम करते समय एक्मो की क्रिया विधि को समझा तब दिमाग में इसके प्रयोग का आईडिया आया। यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। क्योंकि एकमो मशीन अत्यंत महंगी और सर्व सुलभ नहीं थी ।मैं शुक्रगुजार हूं अपने चिकित्सा संस्थान का जिस दिन मेरी योजना और प्रयोग के लिए अवसर दिया। दूसरा चुनौतीपूर्ण कार्य था
एकमो से होने वाले प्रोसीजर अत्यंत महंगी होती थी। लिहाजा अनुसंधान करते समय  यह भी आवश्यक था  कि यह पद्धति  आमजन को उपलब्ध हो सके । जिस नई सर्किट को बनाया गया उससे एक मरीज पर आने वाला खर्च 5 से 6लाख रुपय में ही सीमित हो गया ।जबकि  सामान्यता  इस मशीन पर इलाज का खर्च देश में  40लाख और विदेशों में इसका खड 50 से 70 लाख के आसपास पड़ता है ।उन्होंने बताया कि वह पूरे देश में इस पद्धति की जानकारियां उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत है।