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Thursday 13 November 2014

वर्ल्ड डायबिटीज-डे

जानकारी और बचाव ही है मधुमेह का इलाज़ 


डायबिटीज को आसान शब्दों में कहा जा सकता है कि यह एक हार्मोन से संबंधित बीमारी है जो पाचन ग्रंथि से जुड़ी है जो शरीर में शुगर लेवल बढ़ा देती है। इसकी वजह से गुर्दे से लेकर आंखें तक यानी शरीर के विभिन्न अंग खराब हो सकते हैं, जिससे मौत भी हो सकती है।
   लोगों में यह लाइफ स्टाइल में अपनाई जा रही गलतियों और अनुवांशिक दोनों वजहों से बढ़ रही है लेकिन लाइफ स्टाइल की गलतियां बीमारी को अनियंत्रित कर रही हैं। देश में इस समय करीब साढ़े 7 करोड़ लोग डायबिटीज की चपेट में हैं। 
 इतनी बड़ी संख्या के बावजूद डायबिटीज से लड़ने में ढीला रवैया देखा जा रहा है। जरूरी है कि 40 की उम्र के बाद नागरिक हर वर्ष शुगर लेवल की जांच करवाएं।
 वहीं 20 से 70 वर्ष की कुल आबादी को मिला लें तो इस रोग से 9 प्रतिशत लोग जूझ रहे हैं। इनमें से एक तिहाई लोगों को पता ही नहीं होता कि वे डायबेटिक हैं, जो डायबिटीज से जुड़ी कॉम्प्लीकेशन को और बढ़ा देती है।

बच्चों में बढ़ता मोटापा बढ़ा रहा रिस्क

बच्चों में अब तक केवल डायबिटीज टाइप 1 ही मिलता रहा है क्योंकि इसकी प्रमुख वजह अनुवांशिक होती है। लखनऊ में हर 10 हजार बच्चों में से एक में टाइप 1 डायबिटीज पाया जा रहा है। लेकिन जैसे-जैसे बच्चों के खाने-पीने की आदतों में बदलाव आते जा रहे हैं, उनमें मोटापा बढ़ रहा है और यही उन्हें डायबिटीज के रिस्क फैक्टर की ओर धकेल रहा है। 12 से 14 वर्ष की उम्र में बढ़ना शुरू हुआ मोटापा 20-22 की उम्र तक डायबिटीज में बदल रहा है।

क्या है डायबिटीज

दरअसल हम जो भोजन लेते हैं उसे हमारी पाचन ग्रंथियां पचा कर ऊर्जा और हमारी वृद्धि के लिए उपयोग करती हैं। इस प्रक्रिया में भोजन का अधिकतर हिस्सा टूट कर ग्लूकोज बनाता है। ग्लूकोज एक किस्म की शुगर है और यह हमारे शरीर के लिए ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है। यह ग्लूकोज हमारी रक्त में घुलकर कोशिकाओं तक पहुंचता है जिसका उपयोग कोशिकाएं करती हैं। लेकिन ग्लूकोज को कोशिकाओं में पहुंचाने के लिए इंसुलिन हार्मोन की जरूरत होती है जो पैंक्रियाज की बीटा सेल्स पैदा करती हैं। जब भी हम कुछ खाते हैं तो पैंक्रियाज यह इंसुलिन अपने आप जरूरी मात्रा में छोड़ती है। यही इंसुलिन शुगर कंट्रोलर की भूमिका अदा करता है। इंसुलिन को लेकर आई समस्या ही डायबिटीज का कारण होती है।
डायबिटीज टाइप

डायबिटीज टाइप

टाइप 1 : टाइप 1 डायबिटीज में पैंक्रियाज इंसुलिन बनाना पूरी तरह से बंद कर देता है। कुल डायबिटीज में यह करीब 10 प्रतिशत मामलों में है।
टाइप 2 : यहां इंसुलिन तो बनता है, लेकिन वह काफी कम होता है जो ग्लूकोज को कोशिकाओं में पहुंचाने के लिए काफी नहीं होता। 90 फीसदी डायबिटीज के मामले टाइप 2 के मिल रहे हैं।
लक्षण : हो जाइए सजग अगर
बार-बार पेशाब जाने की जरूरत महसूस होती है।
अचानक वजन तेजी से घटने लगा है
शरीर में एनर्जी की कमी महसूस हो रही है
प्यास और भूख बहुत लगने लगी है
मैं क्या करूं कि न हो मधुमेह

एक अख़बार जिसमे सिमटा सारा संसा

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