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Wednesday 26 November 2014

सार्क सम्मेलन में छलका 26 11 का दर्द


काठमांडू। नेपाल की राजधानी काठमांडू में आज से सार्क शिखर सम्मेलन शुरू हो गया। इस सम्मेलन में बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका और अफगानिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष हिस्सा ले रहे हैं। सीमा पर पाकिस्तान द्वारा बार-बार सीजफायर के उल्लंघन और आतंकवाद पर ढीले रवैये से हाल के दिनों मे दोनों देशों के रिश्तों में आई तल्खी के सबूत साफ नजर आए। शरीफ और मोदी का हाथ मिलाना तो दूर, दोनों नेताओं ने एक-दूसरे की तरफ देखा तक नहीं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में सबसे पहले सार्क सम्मेलन के शानदार आयोजन के लिए नेपाल का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि काठमांडू आकर खुश हूं। मै पहली बार सार्क सम्मेलन में हिस्सा ले रहा हूं। इसमें मैं एकता का नया उदय देख रहा हूं। अच्छा पड़ोसी मिले यह सभी की इच्छा होती है। इस काम में सार्क महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
मोदी ने सार्क देशों के बीच व्यापार बढ़ाने पर जोर देते हुए कहा कि हम चाहते हैं कि सदस्य देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा मिले। हमारे सामने एक जैसी चुनौतियां हैं। क्षेत्र के विकास का स्पीड काफी स्लो है। विकास की धीमी रफ्तार सही बात नही है। आज हमारे बीच सिर्फ 10 फीसद व्यापार होता है। आज एक पंजाब से दूसरे पंजाब में सामान भेजना मुश्किल भरा काम है। मोदी ने कहा कि सार्क में इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनाने की जरूरत है। सार्क देशों का विकास होना बहुत जरूरी है। इसके लिए एक दूसरे देश के बीच रेल और सड़क संपर्क होना जरूरी है। सार्क देशों को बिजली का उत्पादन बढ़ाना होगा। क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ाना होगा।
आतंकवाद का मुद्दा उठाते हुए मोदी ने कहा कि यह क्षेत्र की सबसे बड़ी और विकट समस्या है। उन्होंने कहा कि आज 26/11मुंबई हमले की बरसी है। इस आतंकी हमले का दर्द कभी खत्म होने वाला नहीं है। 26/11 के आतंकी हमले में मारे गए लोगों का दर्द आज भी ताजा है। उन्होंने कहा कि हमें एक दूसरे के नागरिकों की परवाह करनी होगी।


एक अख़बार जिसमे सिमटा सारा संसा

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