विज्ञापन 1

विज्ञापन 1
1 विज्ञापन

Tuesday 9 December 2014

ठंड ने पांव पसारा, जनजीवन बेहाल
कड़ाके की सर्दी के बाद भी सार्वजनिक स्थलों पर नहीं जल रहा अलाव

जौनपुर। कोहरे तथा शीतलहर का प्रकोप जारी रहने से जनजीवन पूरी तरह प्रभावित है। गलन तथा कोहरे के कारण मंगलवार की सुबह लोग घरों से काफी देर बाद निकले। बाजार में भी चहल पहल काफी कम रही। सुबह लगभग आठ बजे तक कोहरे के कारण वाहनों के संचालन पर प्रभावित रहा।
     ट्रेनों की लेटलतीफी भी जारी रहने से प्लेटफार्म पर यात्री ठिठुरते नजर आए। उधर, प्रशासन की ओर से तहसीलों को अलाव तथा कंबल वितरण के लिए धन आवंटित कर दिया गया है। इसके बाद भी न तो सार्वजनिक स्थलों पर अलाव जलवाने की व्यवस्था की गई, न तो कंबल वितरण की प्रक्रिया शुरू हुई। ठंड से निजात के लिए लोग जगह-जगह खर पतवार एकत्रित कर अलाव जलाते देखे गए। शासन की ओर से देर से धन जारी होने की बात कहकर अधिकारी मामले से पल्ला झाड़ ले रहे हैं। भीषण ठंड पडऩे के बाद भी प्रशासन लापरवाह बना हुआ है। नगरपालिका तथा नगरपंचायतों में अपने स्तर से व्यवस्था करनी थी।
      ठंड शुरू होने के पूर्व कंबल वितरण करने की प्रक्रिया पूरी कर लिया जाना था। कड़ाके की ठंड पडऩे के बाद भी न प्रशासन, नगरपालिका और नगर पंचायत किसी के स्तर से सार्वजनिक स्थलों पर अलाव जलवाने की जहमत तक नहीं उठाई जा सकी है। आसमान के नीचे रहने वाले लोगों के लिए एक-एक पल बिताना मुश्किल हो रहा है। हाड़कपाऊं ठंड पडऩे का सिलसिला जारी रहने से पारा लुढ़कने का क्रम बरकरार है। सोमवार को लगभग आठ बजे तक कोहरा छाया रहा। दोपहर बाद तक भगवान सूर्य का दर्शन न होने से लोग ठिठुरते रहे।
      इसके चलते घर से लोगों के देर से निकलने के चलते बाजारों में अपेक्षाकृत कम गहमागहमी रही। सुबह कोहरे के चलते ट्यूशन पढऩे वाले छात्रों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ा। कोहरे के चलते भोर में चलने वाली रोडवेज बसों का संचालन प्रभावित होने से महानगरों कीे ओर जाने वाले लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। ट्रेनों के विलंब से चलने की वजह से प्लेटफार्म पर प्रतीक्षारत यात्रियों के लिए एक-एक पल बिताना भारी पड़ रहा है।
    ठंड बढ़ जाने के बाद भी प्रशासन द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर अलाव जलाने की अभी तक कोई व्यवस्था न होने से गरीबों का जीना दूभर हो गया है। ठंड के बढ़ जाने से दुकानों पर गर्म कपड़ों को खरीदने के लिए भीड़ लगी रही। हाड़ कंपाने वाली ठंड के खौेफ से पटरी दुकानदार भी शाम पांच बजते ही अपनी दुकान समेटकर घरों की ओर रवाना हो जा रहे हैं।

No comments:

Post a Comment