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Monday 8 December 2014




भारत में प्रथम स्थान रखता है जौनपुर का ऐतिहासिक शाही पुल

तीन वर्ष में बनकर तैयार हुआ था ऐतिहासिक शाही पुल

जौनपुर। उत्तर प्रदेश का ऐतिहासिक जनपद है जौनपुर।
यहां दूसरे स्थानों की तरह कई ऐतिहासिक स्थान है। जो आज भी शहर की शान बढ़ाते है। अपनी बनावट और डिजाइन से यह पुल बरबस ही यहां आने वाले लोगों को अपनी ओर ध्यान खींचता है। मुगल शहंशाह अकबर के शासनकाल में उनके हुक्मानुसार 1564 ई. में मुन्नईन खान खाना ने निर्माण करवाया था। उस दौरान शहंशाह आगरा से जौनपुर प्रवास आये हुए थे। सारे भारत में यह एकमात्र पुल है जिसकी मुख्य सड़क पृथ्वी तल पर निर्मित है। यह पुल अत्यंत सुन्दर एवं विराट है। जिसके दोनों ओर दो फिट तीन इंच चौड़ी मुंडेरे हंै। पत्थर के हल्के स्तम्भों पर गुमटियां बनी हुयी है। जो प्रत्येक स्तम्भ पर निर्मित है। यह ल म्बाई केवल दोनों पुलों को मिलाती ही नहीं बल्कि इसके मध्य में 125 फिट लम्बी जमीन पर एक शेर तथा हाथी की मूर्ति तथा एक द्वार है और दूसरी ओर मस्जिद तथा दुकानें है। एक बड़ा सिंह हाथी पर सवार है जो किसी बौद्घ मंदिर के फाटक पर लगा हुआ था। इससे हिन्दू और बौद्घों का संकेत मिलता है क्योंकि दोनों जानवर दोनों धर्मों के विशेष चिन्ह है। इस पुल में सबसे अत्यंत महत्वपूर्ण विचार करने योग्य है कि इस पर होकर जाने वाली सड़क की धरातल के समान है। इस प्रकार का एक और लेबिल ब्रिज सन्ï 1810 ई. में लंदन वाटर ब्रिज के नाम से निर्मित हुआ था। इसके बाद ऐसा पुल कहीं नहीं दिखाई पड़ता। इस दृष्टिï से यह पुल संसार में प्रथम स्थान ग्रहण किये हुए है। क्योंकि जितने भी पुल है वे या तो सड़क से ऊंचे है या नीचे लेकिन सड़क के धरातल में नहीं है। मुन्नईन खान खाना ने पुल के निर्माण तथा किले की मरम्मत में तीस लखा रूपया व्यय हुआ। तीन वर्ष की अवधि में यह पुल बनकर तैयार हुआ। 

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