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Friday 14 November 2014

ए एम यू छात्राओं को पुस्तकालय जाने से नही रोक सकता - हाई कोर्ट 

बेटियों की बड़ी जीत

इलाहाबाद। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्त रूख अपनाया है। हाईकोर्ट ने शुक्रवार को अपने आदेश में कहा है कि लाइब्रेरी में लड़कियों की एंट्री पर लगी रोक गलत है। कोर्ट ने एएमयू लाइब्रेरी मामले में वीसी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
कोर्ट ने कहा है कि लिंग के आधार पर लड़कियों के लाइब्रेरी में प्रवेश पर रोक लगाया जाना अनुचित है। इस मामले पर अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी और कोर्ट ने दो हफ्ते के अंदर मामले में विश्विद्यालय प्रशासन से जवाब मांगा है। गौर हो कि इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की लॉ इंटर्न की तरफ से दाखिल एक याचिका पर एएमयू के वीसी के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें लड़कियों के लाइब्रेरी प्रवेश पर रोक लगाई गई थी। याचिका में एएमयू की लाइब्रेरी में लड़कियों के लिए आम छात्रों की तरह प्रवेश की बात करते हुए स्पेशल सेल बनाने की भी वकालत की गई ताकि छात्राओं को लाइब्रेरी में अध्ययन करने में किसी प्रकार की परेशानियों का सामना न करना पड़े। दरअसल पहले के घटनाक्रम में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) परिसर के मुख्य पुस्तकालय में स्नातक की छात्राओं को अनुमति नहीं देने को लेकर एएमयू के उपकुलपति जमीरूद्दीन शाह ने पहले कहा था कि पुस्तकालय में यदि लड़कियों के प्रवेश की इजाजत दी जाती है तो वहां उनकी संख्या के मुकाबले 'चार गुने लड़के' आएंगे। उसके इस बयान पर काफी विवाद हुआ था जिसकी उन्होंने बाद में सफाई भी दी थी। उन्होंने लैंगिक भेदभाव के आरोपों से इंकार किया था और इन्हें 'न केवल भ्रामक बल्कि शरारतपूर्ण एवं मानहानिपूर्ण करार दिया था। मामले का संज्ञान लेते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने उपकुलपति से रिपोर्ट तलब की है।

 

एक अख़बार जिसमे सिमटा सारा संसा

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