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Sunday 9 November 2014

बढ़ी दवाओं की कीमतों ने दिया झटका


हृदय रोग, हाई ब्लडप्रेशर, डायबिटीज, कैंसर, रैबीज की दवाएं हुईं महंगी

जौनपुर। दिल के रोगी, कैंसर, टीबी, अस्थमा के मरीजों के लिए बढ़ती महंगाई भारी पड़ रही है। इलाज पर पहले से ही हजारों रुपये खर्च कर चुके लोगों को दवा की कीमतें बढऩे से झटका लगा है। हृदय रोग, हाई बीपी, टीबी, अस्थमा ब्रोंकाइटिस, दिमागी बुखार की दवाएं डेढ़ गुना तक महंगी हो गई हैं। मसलन, दिल के रोगियों के लिए जो दवाएं महीने में तीन हजार रुपये तक पड़ जाती थीं, इन दिनों उतनी ही गोलियां या इंजेक्शन खरीदने में 4700 से 5000 रुपये खर्च करने पड़ रह हैं। 20 से 25 हजार रुपये मासिक आमदनी वाले तमाम परिवारों के हालत ये हैं कि जरूरी दवाओं में भी कटौती करने लगे हैं। कुछ डॉक्टरों ने बताया कि उनके पास ऐसे कई बुजुर्ग मरीज आते हैं, जिन्हें हाई बीपी, डायबिटीज या अस्थमा की शिकायत है। दिन में चार दफे गोलियां लेनी थीं, कीमतें बढऩे के बाद दिन दो बार गोलियां लेने लगे और उनकी तबीयत फिर बिगड़ गई।

जरूरी दवाओं के दाम आसमान पर

हॉर्ट और हाई ब्लडप्रेशर की कुछ जरूरी दवाओं की कीमतों में भारी इजाफा हुआ है। ये ऐसी दवाएं हैं, जिनको न लेने पर मरीज को परेशानी हो सकती है। मसलन, 'अटोरवा स्टेटिनÓ जो दो महीने पहले तक 50 रुपये में मिल जा रही थी अब 62 रुपये में मिल रही है। इसी तरह 'कार्डेस-5Ó जो पहले 107 रुपये में मिल जाती थी, अब 124 रुपये में हो गई। इंजेक्शन 'एनेक्सा पेरिनÓ जून तक 250 में मिल जाता था अब 500 में मिल रहा है। ये ऐसी दवाएं हैं जो गंभीर मरीजों के लिए जरूरी हैं। मरीज तीन-चार दिन गैप कर दे तो जान का खतरा हो सकता है। जीवन रक्षक दवाओं में बढ़ोतरी मरीजों के परिवार की कमर तोड़ रही है।

साधारण दवाएं भी सस्ती नहीं

सामान्य बीमारियों में ली जाने वाली दवाओं की कीमतों में भी इजाफा हुआ है। खांसी, बुखार, पेट दर्द, माइग्रेन जैसी बीमारियों की दवाएं भी महंगी हो गई हैं। दवाएं खरीदना मुश्किल होता जा रहा है। साधारण दवाओं की कीमतें भी 15 से 30 फीसदी तक बढ़ी हैं। कई परिवार ऐसे हैं जिनकी कमाई की 20 फीसदी से ज्यादा रकम दवाओं पर खर्च हो रही है। उनके लिए अब दवाएं खरीदना मुश्किल हो गया है। खांसी की साधारण दवा 'कोडिस्टारÓ 50 रुपये में मिल जाती थी, अब 68 रुपये में बिक रही है। 'कोरेक्सÓ 60 में थी, अब 82 रुपये में मिल रही है। बुखार की साधारण गोली 'क्रोसीनÓ के दाम एक रुपये तो 'सूमोÓ के दाम दो रुपये प्रति गोली तक बढ़ गए हैं।

खांसी, जुकाम, पेट दर्द, सिर दर्द की दवाओं की कीमतों में भी इजाफा

बड़ी संख्या में ऐसी जरूरी दवाएं हैं जो ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर (डीपीसीओ) के अंतर्गत नहीं आतीं। इसके कारण दवा कंपनियां उनकी मनमानी कीमत तय कर रही हैं। एनपीपीए से गैर जरूरी दवाओं की कीमत तय करने का अधिकार छिन जाने से दवा कंपनियां मनमानी पर उतारू हैं। कीमत पर नियंत्रण जरूरी है ताकि मरीजों को इलाज कराने में सहूलियत हो।


जौनपुर समाचार 

एक अख़बार जिसमे सिमटा सारा संसार

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