विज्ञापन 1

विज्ञापन 1
1 विज्ञापन

Saturday 17 October 2015

उचित तंत्र से काबू हो सकती ह प्याज़ की कीमत

नीति आयोग ने प्याज़ की महंगाई पर दिए सुझाव 



  • प्याज के पैदावार में वार्षिक 13 फीसदी की बढ़ोतरी हुयी है लेकिन घरेलू और वैश्विक मांग में उत्पादन से अधिक की वृद्धि हुयी है। प्रति व्यक्ति प्याज की उपल धता वर्ष 2002-03 में चार किलोग्राम थी जो हाल के वर्षों में बढ़कर 13 किलोग्राम पर पहुंच गयी है। इसमें 12 प्रतिशत वार्षिक बढ़ोतरी हुयी है


जौनपुर। रोज - बरोज चढ़ती  उतरती कीमतो से आम जन रोज रूबरू होता हैआखिर इनकी कीमते कैसे काबू में आएं कैसे यह आम जन का प्याज जन-जन की थाली तक पहुंचे यह चर्चा चटीचौराहो से लेकर संसद तक जारी है। नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद का सुझाव गौर तलब है कि प्याज की कीमतों में उतार-चढ़ाव को उचित तंत्र और हस्तक्षेप से काबू किया जा सकता है। प्रोफेसर चंद ने नीति आयोग की वेबसाइट पर अपने लॉग में कहा कि इसके लिए किये जाने वाले उपायों में भंडार इंफ्रास्ट्रक्चर, नेफेड जैसी केन्द्रीय एजेंसियों द्वारा प्याज के भंडारण के साथ ही राज्य स्तरीय एजेंसियों और आम लोगों के भंडारण को भी शामिल किया जाना चाहिए।उन्होंने कहा कि इसके साथ ही उ ार प्रदेश जैसे राज्यों में भी प्याज की खेती को बढ़ावा दिया जाना चाहिए और इसे खरीफ सीजन में खेती के विकल्प में रूप में भी पेश किया जाना चाहिए। देश में प्याज के भंडार में लगातार आ रही कमी का उल्लेख करते हुये उन्होंने कहा कि पैदावार में बढ़ोतरी होने के बावजूद हर तीन वर्ष में प्याज की कीमतों में भारी वृद्धि दर्ज की जा रही है। वर्ष 2002-03 में देश में 55 लाख टन प्याज का उत्पादन हुआ था
जो हाल के वर्षों में बढ़कर 1.9 करोड़ टन पर पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि पिछले 13 वर्षों में देश में जिससे भारतीय उपभोक्ताओं का प्याज के प्रति लगाव का पता चलता है और इससे प्रत्येक परिवार का बजट भी बढ़ गया है। प्रोफेसर चंद ने कहा कि प्रति व्यक्ति उपल धता में भारी बढ़ोतरी दर्ज किये जाने के बावजूद इसकी वास्तविक कीमतों में उतार-चढ़ाव हो रहा है। उन्होंने कहा कि घर के बाहर खाने में बढ़ोतरी होने के साथ ही कई अन्य क्षेत्रों में मांग बढऩे से प्रति व्यक्ति उपभोग में भी बढ़ोतरी हुयी है। इसका मसालेदार खाने में मु य घटक के तौर पर उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हाल ही में बेमौसम बारिश और कारोबारियों की जमाखोरी से प्याज की कीमतों में तेजी देखी गयी लेकिन जब इसकी कीमतें सामान्य स्तर पर आ जाती है सब इसको भूल जाते हैं। उन्होंने कहा कि प्याज की कीमतों में एक नियमित समय में ही बढ़ोतरी होती है जो कुछ महीने तक रहती है और इसका उचित तंत्र के जरिये प्रबंधन किया जा सकता है। 

No comments:

Post a Comment