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Friday 16 October 2015

त्यौहार की वजह से बढ़ा मिलावट का कारोबार

जरा परख लें ये घी ही है क्या ? 

जौनपुर। दीवाली के त्योहार पर स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहें। जिन मिठाइयों और पकवान को बड़े स्वाद से खाते हैं, उनके बनाने में इस्तेमाल हो रहे वनस्पति घी में बड़ा खेल हो रहा है। अच्छी क्वालिटी के ब्रांडेड पैकेट में घटिया वनस्पति मिलाया जा रहा है। कुछ तो चर्बी भी मिला रहे हैं। ये मिलावट स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। बरेली में वनस्पति घी की कोई फर्म या फै ट्री नहीं है लेकिन चोरी छिपे खेल हो रहा है। अच्छी क्वालिटी के वनस्पति घी में घटिया क्वालिटी का घी मिलाकर बेचा जारहा है। हालांकि रिफाइंड के आगे घी की खपत धीरे-धीरे कम होती जा रही है लेकिन त्योहार पर मिठाई की मांग ज्यादा होने के कारण सब खप रहा है। अब तो सीधे पाम आयल भी मिठाई बनाने और ब्रेकरी के काम में इस्तेमाल होने लगा है।

देसी घी में वनस्पति 
देसी घी में भी मिलावट कम नहीं हो रही है। मुनाफा के लिए देसी घी में अच्छी क्वालिटी का वनस्पति मिलाया जा रहा है। जिसमें सुगंध बरकरार रखने के लिए एसेंस भी मिला रहे हैं। यहां पर देसी घी की एक बड़ी और पांच छोटी कंपनियां एफएसडीए में पंजीकृत हैं। बरेली में एक अनुमान के मुताबिक 40 लाख लीटर देसी घी का कारोबार हो रहा है। इसमें से करीब 12 लाख लीटर देसी घी का कारोबार बिना कागजों के हो रहा है।

देसी घी ऐसे पहचानें 
ज्यादा पीलापन भी मिलावटी देसी घी के लक्षण हैं।

इनसे बनता है वनस्पति घी
अच्छी क्वालिटी का वनस्पति कोकोनट, सोयाबीन, मूंगफली मध्यम क्वालिटी- सन लॉवर, लोअर क्वालिटी- पॉम आयल, महुआ, आम की गुठली

ऐसे करें पहचान
घटिया क्वालिटी का वनस्पति घी कड़ा, ज्यादा चिकना और आग में देरी से पिघलने वाला।

कार्रवाई एवं सजा
अधोमानक (मिलावट) की पुष्टि होने पर प्रशासनिक मजिस्ट्रेट के यहां से 50 हजार तक का जुर्माना और तीन माह की सजा स्वास्थ्य के लिए खतरनाक की पुष्टि होने पर न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां से पांच लाख तक का जुर्माना। आठ साल की सजा और फर्म के लाइसेंस का निरस्तीकरण।

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