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Friday 16 October 2015

हज़रात इमाम हुसैन अल्लाह की रह में शहीद हुए

माहे मोहरम आपने आगोश में समेटे है फजीलतो और रहमतो को 

जौनपुर। इस्लामी नये साल माहे मोहर्रम की आमद हो गयी। यह महीना अपनी आगोश में फजीलतो और रहमतो को समेटे है। माहे मोहर्रम इबादत का महीना है इस का एहतेराम हर मोमिन मुसलमान के लिये जरूरी है। इसी महीने में हजरत आदम जो पहले इंसान और पहले पैगबर थे इस रूये जमीन पर आये उनकी तौबा भी कुबूल हुई हजरत नूह की कश्ती को साहिल मिला हजरत इब्राहिम पर नमरूद की आग सर्द हुई हजरत मूसा को जाबिर जालिम फिरऔन बादशाह के जुल्मसितम पर फतह हासिल हुई।

हजरत यूनुस को शिकमें माही से रिहाई मिली ईसा मसीह को सूली से जिन्दा आसमान पर अल्लाह ने उठा लिया और हजरत इब्राहिम हजरत इस्माईल के जरिया खाना काबा की तामीर भी अमल में आई मुतसर यह कि बेशुमार रहमतों का नुजूल इंसान और इंसानियत पर रब ने फरमाया और यह सब रौशन कारनामे मोहर्रम की दसवी तारीख यौम्रे आशूरा के मौका पर अंजाम पजीर हुये मोहर्रम माह के आगाज होते ही इजरत इमाम हुसैन और आले रसूल की अजीम शहादत की याद से दिलो जेहन गमगीन हो जाता है हजरत इमाम हुसैन हजरत अली के फरजन्द हजरत फातेमा जहरा के नूरे नजर और नवासये रसूल थे।

बड़े पाक दान हक परस्त रास्तबाज नेक दिल नेक सीरत इंसान थे आप की पैदाइश 3 शाबान सन् 4 हिज्जी को हुई गालेबन सन साठ, या इकसठ हिज्जी में हजरत करबला में यजीदियों से लड़ते हुये शहीद हो गये थे। हजरत इमाम हुसैन से रसूले खुदा बड़ी मुह बत फरमाते थे।

नबी ने फरमाया हुसैन मुझसे और हम हुसैन से है जो हुसैन का है वह मेरा है जब हुसैन ने देखा इंसान खास तौर पर मुसलमान दीनों ईमाम के रास्ते से भटक रहे हैं।

तब आपने दीनों ईमाम इंसानियत की आबरू बचाने के वास्ते बीड़ा उठाया और दुनिया वालों को इंसानियतों ईमाम का सबक दिया जिसमें उस दौर का मु मेरा यजीज हुसैन का सत मुखालिफ और जानी दुश्मन बन गया तारीख इस बात की गवाह है कि इमाम साहब हक पर थे पर और यजीद गुमराह दुनियादार इंसान था। उसने इमाम साहब से अपनी बैयत कुबूल करने को कहा इमाम साहब ने गुमराह इंसान की बैयत से इंकार किया यजीदी जुल्मो सितम पर आमादा हो गये और जंग का ऐलान कर दिया।

इमाम साहब ने बहुत समझाया कि जंग मत करों लेकिन यजीदी ने माने और जंग हुई जिसमे एक एक करके इमाम साहब के साथी शहीद होते गये और आखिर में इमाम साहब भी लड़ते हुये शहीद हुये हुसैन का कातिल शिमरबिन जौशन है उसने सजेद की हालत में हुसैन को कत्ल किया हुसैन इन्सानियत इमाम के लिऐ कुर्बान हुये उन की कुरबानी अजीम कुरबानी है और इमाम व दीन और पूरी इंसानियत की आबरू है अल्लाह की रजा नबी की खुशी के लिये इंसानियत की सलामती के लिये इंसानों को जीन और मरना चाहिये यही है पैगामे हुसैन अल्लाह सब को नेक अल की तौफीक दे आमीन। कारीजिया जौनपुर इमाम शेर मस्जिद शाही पुल जौनपुर।

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