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Sunday 7 December 2014

लाख टके का सवाल है कि आधुनिकतम जांच तंत्र ठगों की मुश्कें क्यों नहीं..?

जौनपुर। ग्रामीण अभियंत्रण अभिकरण बाराबंकी एवं आवास विकास लखनऊ  के खातों से लाखों रुपये चेक क्लोनिंग के जरिए उड़ा लिए गए। एक ही व्यक्ति के नाम 33 लाख 70 हजार  के दो चेक पंजाब नेशनल बैंक के जारी किए थे। यह बेहद संगीन मामला सिर्फ लाखों रुपये की धोखाधड़ी के नजरिये सेे ही नहीं बल्कि इसलिए भी चिंताजनक है कि इसे अंजाम देने में वे लोग भी आरोपों के दायरे में हैं जिन पर बेहद भरोसा किया जाता है।
अगर बाड़ ही खेत को खाने लगे तो फिर किससे सुरक्षा की उम्मीद की जा सकती है। इससे पहले भी चेकों की क्लोनिंग के जरिये लाखों रुपये की धोखाधड़ी सामने आ चुकी है पर पुलिस के ढीले रवैये के चलते जालसाजों के हौसले बुलंद हैं और वे लगातार वारदात को अंजाम दे रहे हैं। इस तरह के अपराधों में ज्यादातर बिगड़ैल युवा ही शामिल होते हैं। दरअसल आज समाज में जहां एक ओर समृद्धि पाने के लिए साधनों की वैधता गौण हो गई है वहीं कई तरह के फिजूल खर्चे भी लोगों की लत में शामिल हो गए हैं, जिन्हें पूरा करने के लिए इस तरह के काम करने में भी लोग हिचकते नहीं हैं। अमानत में ख्यानत की यह प्रवृत्ति विषबेल की तरह आगे बढ़े उससे पहले ही इसे नष्ट कर इसकी जड़ों में म_ा डालना होगा, नहीं तो लोगों का बैंकिंग जैसी महत्वपूर्ण संस्थाओं से विश्वास उठ जाएगा और यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए बेहद घातक होगा। इसी के साथ हमें घटना को ठगी के उस दृष्टिकोण से भी देखना चाहिए जिसमें पूरे सूबे में लगातार ठगों का एक बड़ा तंत्र काम कर रहा है। न केवल जनपद बल्कि  प्रदेश की राजधानी समेत लगता है पूरे सूबे में ठगों ने एक ऐसा मजबूत संजाल बिछा लिया है जिसे तोडऩा पुलिस के लिए संभव नहीं हो पा रहा। लाख टके का सवाल है कि हमारी पुलिस का वह तथाकथित आधुनिकतम जांच तंत्र ठगों की मुश्कें क्यों नहीं बांध पा रहा? हमारी व्यवस्था में भी ऐसा खोट है कि ऐसे जालसाज अव्वल तो पकड़ में नहीं आते और मिल भी जाएं तो उन्हें सजा के मुकाम तक पहुंचाना मुश्किल होता है।  अगर बाड़ ही खेत को खाने लगे तो फिर किससे सुरक्षा की उम्मीद की जा सकती है। इससे पहले भी चेकों की क्लोनिंग के जरिये लाखों रुपये की धोखाधड़ी सामने आ चुकी है पर पुलिस के ढीले रवैये के चलते जालसाजों के हौसले बुलंद हैं।

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