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Sunday 11 October 2015

मेडिकल स्टोर्स हड़ताल के लिए है सख्त प्रावधान

हो सकती है ३ माह से ७ साल की सजा 

ए0के0 यादव
जौनपुर। जैसे-जैसे दवा व्यवसाईयों के अखिल भारतीय भारत बंद की तिथि नजदीक आती जा रही है वैसे -वैसे गहमा गहमी बढ़ती जा रही है। जहां एक तरफ बंद के समर्थक संगठन से जुडे सक्रिय सदस्य जनपद में बंद को सफल बनाने की रणनीति अपना रहे है वही बंद विरोधी भारत बंद की असलियत को जाहिर कर मेडिकल स्टोर्स संचालको को १४ अ टूबर को अपनी दुकाने खोलने के लिए राजी कर रहे है। अब यह रस्साकसी शहर- तहसील से होती हुई सुदूर ग्रामीण अंचलों के मेडिकल स्टोर्स संचालकों तक पहुंच गई है। ऐसे में दोनों तरफ से दावे और चेतावनियों का दौर शुरू हो गया है। इधर केन्द्र सरकार द्वारा जारी परिपत्र में दिए गए निर्देशों की जानकारी के बाद स्थितियों मेंअचानक परिवर्तन आया है। केन्द्रीय पेट्रोलियम एवं रसायन मंत्रालय द्वारा जारी परिपत्र में प्रदेशो के ड्रग कन्ट्रोलरों को निर्देश जारी किए गए है कि वे स्थानीय बाजारों में दवाओं की उपलधता सुनिश्चित करने के लिए कानून से मिली शक्तियां का प्रयोग करें। दवाओं की उपलधा सुनिश्चित करने के लिए ड्रग कन्ट्रोलर तथा स्थानीय प्रशासन को डी०पी०सी०ओ०और आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत जो अधिकार मिले है उनके तहत औषधि लाईसेंस दवा धारक पाबंद होता है। दवा (मूल्य नियंत्रण) आदेश १९९५ के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन,आवश्यक वस्तु अधिनियम १९९५ के प्रावधानों के अनुरूप दंडनीय है। आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा ७ के अनुसार औषधि मूल्य नियंत्रण आदेश के उल्लघंन के लिये न्यूनतम ३ माह के कारावास के दंड की व्यवस्था है जो सात वर्ष तक के लिए बढ़ाई जा सकती है एवं नियमों का अतिक्रमण कारी जुर्माने का पात्र होता है। नियमानुसार लाईसेंस धारी अपने लायसेंस से भी हाथ धो सकता है।

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