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Wednesday 19 November 2014

    स्वार्थ का त्याग करने वाला होता है कृष्णमय: योगी देवनाथ




जौनपुर। कालचक्र अपनी गति से घूमता है। मनुष्य न जाने कितनी बार आता और हारता रहता है। अर्जुन ने श्रीकृष्ण से पूंछा-प्रभु यदि मैं हार गया तो श्रीकृष्ण ने जवाब दिया हार में भी तुम्हारी जीत है वहीं मैं रहूंगा। मनुष्य सिर्फ अपने लिए लड़ता हैं। श्रीकृष्ण कहते हैं कि जब व्यक्तिगत मोहमाया से ऊपर उठकर आगे आता है तब वह मुझसे मिलता है। योगी देवनाथ श्रीमद् भागवत कथा के समापन अवसर पर प्रवचन दे रहे थे। बी0आर0पी कॉलेज मैदान में आयोजित भागवत कथा के प्रारंभ से पूर्व योगी ने नारायण और वेदियों का पूजन किया। इसके बाद मुख्य यजमान राकेश कुमार श्रीवास्तव ,किरन श्रीवास्तव ने योगी का तिलक गाकर पुष्प अर्पित किया। इसके बाद सावित्री जायसवाल, ए0आर0टी0ओ0 प्रवर्तन बी0के0सिंह, प्रशासन सूरज राम पाल एवं उनकी पत्नी मुराही देवी, अजीत मोदनवाल, प्रियंका मोदनवाल,रामशंक विंध्याचल से, नितिन सिंह, सौम्या, नीलम गुप्ता, कैलाश सिंह, के0के0त्रिपाठी, यादवेन्द्र चतुर्वेदी, बब्लू दूबे आदि ने योगी को पुष्प अर्पित किया।
इसके बाद योगी देवनाथ के साथ सभी भक्तजन ,आचार्यगण ने मंगलाचरण और गोपिन्द श्रीकृष्ण का भजन संगीतमय किया। योगी ने कहा कि हनुमान को अमरता का वरदान सीता माता ने अशोक वाटिका में ही दे दिया। इसके बाद हनुमान ने लंका दहन किया। हनुमान निडर थे तभी मां सीता ने वरदान दिया अमर होने का । लेनि मानप अपना वैभव बनाने में ही लगा रहता है और अमरता की इच्छा भी नही रखता है यह कल्पना नही सत्य पर आधारित इतिहास और विज्ञान है।    

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