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Sunday 8 November 2015

वो पांच आचोक हतियार, जिनसे लालू ने चीन ली मोदी की जीत

मोदी और शाह की विजयी जोड़ी भी हुई नाकाम

बिहार के नतीजों के बाद संभवत: राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के राजनीतिक जीवन का आंकलन नए ? सिरे से किया जाए, जिसके दो हिस्से हों- पहला चारा घोटाले में जेल में जाने से पहले का और दूसरा उसके बाद का। सजाया ता लालू प्रसाद यादव ने जमानत पर बाहर आने के बाद अपनी राजनीतिक दिशा और दशा नए सिरे से तय की। कहते हैं सियासत में कामयाब वही होता है जो हवा का रुख भांपकर सियासी चाल चले...और बिहार चुनाव में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने ये काम बखूबी किया। केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद दाल, प्याज और खाने-पीने की चीजों पर महंगाई से लेकर काला धन मामले तक केंद्र सरकार की सुस्त चाल को लालू ने ठीक से समझा...और अपने मोहरे कुछ इस तरह बिठाए कि मोदी और शाह की विजयी जोड़ी भी उनसे पार नहीं पा सकी। बिहार में नीतीश के साथ मिलकर लालू ने मोदी को शुरुआत में ही ऐसी सियासी पटखनी दी कि मोदी लाख कोशिशों के बाद भी उठ नहीं पाए और बिहार ने एक बार फिर लालू को सियासत का शहंशाह मान लिया।

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