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Sunday 18 October 2015

दुनिया को विश्व युद्घ से बचाने के लिए मोहर्रम का गम मनाया जरूरी

मौलाना फजले जैदी:

जौनपुर। शिया जामा मस्जिद नबाब बाग में मजलिस को सम्बोधित करते हुए मौलाना फजले अब्बास जैदी ने कहा कि हजरत इमाम हुसैन अ0स0 की शहादत ने इॅसानियत को बचा लिया। इस लिए हुसैन मानवता के अलमबरदार हैं। आज जब इन्सानियत कराह रही है। तो इमाम हुसैन अ0स0 के पैगाम का और महत्व बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि इस्लाम अमनों शांति का संदेश देता है। आज जब दुनिया तृतीय विश्वयुद्घ के दहाने पर खड़ी है,तो कर्बला की मार्मिक घटना ही के माध्यम से विश्व शांति की अपील की जा सकती है उन्होंने हजरत अली असगर के मसायत को पढ़ा और बताया कि द्वितीय विश्वयुद्घ के बाद यू0एन0ओ0 का जब गठन हुआ। तो यू0एन0ओ के मानवाधिकार चार्टर के माध्यम से विश्व शांति की अपील में कर्बला की घटना को शामिल किया गया।
इस अवसर पर शिया जामा मस्जिद के मुत्तवली अली मन्जर डेजी,हाजी समीर अली,नासिर रजा,गुड्डू,शादाबुल हसन शॉदा,मो0मुसलिम हीर,असलम नकी,महमुदुल,हाजी इश्तेेयाक,अली औन और अजादारी काउंसिल के पदाधिकारी एवमं सदस्य उपस्थित थे। इसी क्रम में तीन मोहर्रम का ताबूत व अलम का जुलूस इस्लाम के चौक इमामबाड़े से उठा जिसकी मजलिस को खेताब फरमाया मौलाना डा० गुलजार साहब ने उन्होंने कहा कि इस्लाम को मानने वाला हर दौर के जालिम की मजमत करता रहेगा। चाहे इसके लिए उसको कितनी बड़ी ही कुर्बानी क्यों न देनी पड़े। क्योंकि कर्बला में हजरत इमाम हुसैन अ0स0 ने जालिमा की बैयत को ठुकरा कर जालिम के चेहरे से नकाब को उतार दिया। जुलूस का संचालन बिलायत चेरीटेबुल हास्पिटल हमाम दरवाजा के सरपस्त असगर हुसैन जैदी,अलमदार जै0डी0नजमुल नजमी,असलम नकवी इत्यादि मुख्य रूप से उपस्थित रहे।

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