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Tuesday 30 December 2014

फसलों को कोहरे से बचाने के लिए सतत्ï निगरानी करनी चाहिए : उपकृषि निदेशक
  • दवाओं के छिड़काव से रोका जा सकता है नुकसान

 जौनपुर। उप कृषि निदेशक अशोक कुमार उपाध्याय ने बताया कि वर्तमान समय में कोहरे के कारण फसलों में लगने वाले प्रमुख रोगो यथा-झुलसा, बुकनी,पीला चित्रवर्ण तथा गेहूॅं में गेरूई आदि के बचाव हेतु जिले के किसान बन्धुओं को सलाह दी जाती है कि वे फ सलों की सतत निगरानी करते हुए बचाव कार्य करें। आलू में अगेती एवं पिछेती झुलसा से बचाव हेतु मैंकोजेब 75: घु0चू0 अथवा जिनेब 75: घु0चू0 2 कि0ग्राम प्रति हे0 की दर से 800 लीटर पानी में घोल बनाकर 10 दिन के अन्तराल पर 2-3 छिड़काव करें। इस रोग में पत्तियां किनारे से जलना शुरू होती है और धीरे-धीरे समूची फसल जल कर नष्ट हो जाती है। मटर की फसल में बुकनी रोग से बचाव हेतु 3 किग्रा0 प्रति हे0 की दर से वेटेबुल सल्फर 80: घु0चू0 या कार्बेन्डाजिम 50: घुचू0 की 1 किग्रा0 मात्रा 600 ली0 पानी में घोल बनाकर 10 दिन के अन्तराल पर 2-3 छिड़काव करें। इस रोग में पत्तियों, फलियों एवं तने पर सफेद चूर्ण जमा हुआ दिखाई देता है। बाद में पत्तियां काली व भूरी होकर सूख जाती है। सरसों की फसल में झुलसा रोग से बचाव हेतु जिनेब 75: घु0चू0 2 किग्रा0 प्रति हे0 की दर से 800 ली0 पानी में घोल बनाकर 10 दिन के अन्तराल पर 2-3 छिड़काव करें। झुलसा रोग में पत्तियों पर भूरे एवं काले छल्ले ऑख के आकार के दिखाई पड़ते हैं। सरसों की फसल में माहूं कीट से बचाव हेतु इमिडाक्लोप्रिड 17.8: मात्रा 250 मि0ली0 अथवा मोनोक्रोटोफॉस 36: ई0सी01 लीटर या थाइमेथोएट 30: ई0सी01.5 ली0 प्रति हे0 की दर से 800-1000 ली0 पानी में घोल बनाकर 1-2 छिड़काव करें। गेहूं की फसल में करनालबन्ट रोग से सुरक्षात्मक बचाव हेतु प्रोपीकोनाजोल 25: की 500 मि0ली0 मात्रा को 600-700 ली0 पानी में घोलकर प्रति हे0 की दर से गेहूं में बालियां निकलते समय या पुष्पावस्था में छिड़काव करें तथा गेहूं में झुलसा से बचाव हेतु मैकोजेब 75:घु0चू0 अथवा जिनेब 75: 2 किग्रा0 प्रति हे0 की दर से 800 ली0 पानी में घोल बनाकर 10 दिन के अन्तराल पर 2-3 छिड़काव करें। 

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