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Tuesday 23 December 2014

रसूल की इजाज के बगैर मौत का फरिश्ता घर में दाखिल नहीं हुआ : कमर अब्बास

  • कमा व जंजीर के मातम से हवाओं में उड़े खून के छींटे

जौनपुर। 28 सफर का कदीमी जुलूस सोमवार को मखदूम शाह अढऩ मोहल्ला स्थित इमामबारगाह से निकाला गया। इस दौरान ताजियाए शबीहे ताबूत व अलम मुबारक के साथ नगर की सभी अंजुमनों ने नौहा मातम किया। जुलूस अपने कदीमी रास्ते से होता हुआ कोतवाली चौराहे पहुंचा जहां मातमी दस्तों ने जंजीर और कमा का मातम किया। इसके बाद जुलूस बड़ी मस्जिद पुरानी बाजार होता हुआ बेगमगंज स्थित सदर इमामबाड़ा पहुंचा जहां शबीहे ताबूतए आलम ठंडा किया गया और ताजिये को सुपुर्दे खाक किया गया।
इसके पूर्व कार्यक्रम की शुरूआत सोजखानी से हुई। जिसके बाद डा$ सैय्यद कमर अब्बास ने मजलिस को खिताब किया। इस दौरान उन्होंने कायनात के रसूल हजरत मोहम्मद मुस्तफ ा व उनके नवासे इमाम हसन अ$ स$. के जीवन पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अल्लाह के रसूल ने अपनी पूरी जिंदगी इस्लाम को फैलाने में सर्फ की लेकिन आखिरी वक्त में जब उन्होंने तहरीर लिखने के लिए कलम और दवात मांगा तो उन्हीं लोगों ने देने से इनकार कर दिया जो उनके साथ जाहिरी तौर पर नजदिकियां बनाये हुए थे। कहा कि मोहम्मद का मर्तबा इसी से समझा जा सकता है कि मौत का वह फ रिश्ता जो जब चाहे जहां चाहे जाकर इंसान की रुह कब्ज कर ले लेकिन वह बार-बार कुंडी खटखटाता रहा और इजाजत मांगता रहा। जब रसूल ने अपनी बेटी फ ातेमा से कहा कि बेटी यह मौत का फ रिश्ता है और मेरा आखिरी वक्त है इसे इजाजत दे दो और फातेमा ने इजाजत दिया तब वह दाखिल हुआ लेकिन उसी मोहम्मद के नवासों को दुनिया ने चैन से रहने नहीं दिया। बड़े नवासे इमाम हसन को जब छह बार जहर देकर भी नहीं मारा जा सका तो सातवीं बार ऐसा जहर लाया गया जिसकी एक बूंद दुनिया के सभी समुंदरों के जीवों को मारने के लिए काफ ी था वह जहर इमाम के पानी में उनकी एक पत्नी द्वारा मिला दिया गया जिसे पीने के बाद उन्हें खून की उल्टियां होने लगी और शहीद हो गये। शहादत के बाद जब जनाजा जन्नतुल बकी दफ्न के लिए ले जाया गया तो लोगों ने जनाजे पर तीरों की बारिश कर दी और 7 तीर इमाम के जनाने पर लगे और यह दुनिया का पहला ऐसा जनाजा था जो कब्रिस्तान जाने के बाद पुनरू घर वापस आया। मजलिस के बाद शबीहे अलम बरामद हुआ इमाम चौक पर रखा गया शबीहे ताबूत व ताजिया उठाया गया। जिसके हमराह अंजुमनों ने नौहा और मातम शुरु किया। मखदूम शाह अढऩ से उठा यह जुलूस अपने कदीमी रास्तो से गुजरता हुआ कोतवाली तिराहे पर पहुंचा जहां जंजीर और कमा का मातम किया गया और जुलूस मल्हनी रोड होते हुए पुरानी बाजार से गुजरता हुआ सदर इमामबारगाह बेगमगंज पहुंचा जहां नौहा और मातम के साथ जुलूस ठंडा किया गया। 

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