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Thursday 15 January 2015

मिठाई की नामचीन दुकान पर मीठा जहर बिकने का मामला



  • जिंदगी से खिलवाड़ कब तक?



लखनऊ में जहरीली शराब के बाद अपने जनपद का प्रशासन चेता ताबाड छापेमारी गिरफ्तारी और अवैध शराब की बरामदगी का सिलसिला शुरू हुआ। क्या लखनऊ की मिठाई की दुकानों पर बिक रहे मीठे जहर की खबर के बाद भी जनपद का खाद्य महकमा चेतेगा या फिर किसी बड़ी अनहोनी की प्रतीक्षा करेगा? यह बेहद चिंताजनक है कि प्रदेश की राजधानी जिन बड़ी और प्रतिष्ठित दुकानों पर हम आंख मूंद कर विश्वास कर लेते हैं वे इस तरह का फरेब कर रही हैं। राजधानी में मिष्ठान की नौ प्रमुख दुकानों से जांच के लिए नमूने लिए गए थे। लैब टेस्टिंग में 20 में से आठ नमूने फेल हो गए। दो नमूने तो मानव जीवन के लिए खतरा मानी जाने वाली अनसेफ श्रेणी में पाए गए हैं। तेलीबाग में गणपति स्वीट्स की खोआ बर्फी में डिटर्जेंट का मिलना जहां चौंकाता है वहीं हजरतगंज की मशहूर चौधरी स्वीट्स की मिल्क पुडिंग में रसायनिक रंग का पाया जाना तो मानव जीवन से खिलवाड़ ही है। हाल ही में नगर के एक नामचीन मिठाई विक्रेता के यहां आखाद्य गाजर के हलवे से दर्जनों जिंदगियां खतरे में पड़ गई थी। सिर्फ सैम्पिलिंग न तो दोषी को सबक मिला न ही उस जैसे दूसरे बिक्रेताओं को आखिर मिलावटखोरी का यह धंधा कब तक चलेगा। लखनऊ के एफएसडीए विभाग की सक्रियता का हमें शुक्र गुजार होना चाहिए कि उसने जनता को आगाह कर दिया। क्या हमें भी जनपद के एफएसडीए विभाग को शुक्रिया देने का अवसर मिलेगा। खाद्य तेलों और घी में मिलावट करके मिठाई बनाने का काम तो हम अक्सर सुनते हैं लेकिन खतरनाक रसायनों और रंगों का इस्तेमाल भी अब धड़ल्ले से हो रहा है। इनसान की जान की परवाह न करने वालों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए। खास कर उन्हें जिन पर हम इतना भरोसा करते हों। खानपान और जायके को लोग पसंद करते हैं।
अगर यही दशा रही तो लखनऊ वाले किस बात पर गर्व करेंगे। इन लोगों के प्रति नरमी की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए।

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