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Friday 26 December 2014

आखिर कौन चुरा रहा गरीबों की थाली से रोटी

जौनपुर। सार्वजनिक वितरण प्रणाली में पर्यवेक्षक की उदासीनता के कारण वितरण व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गयी है। निर्धारित तिथि पर न तो राशन वितरण हो पा रहा है और न ही वितरण अधिकारी वितरण के समय मौजूद रहते है। आलम यह है कि गांव में कार्डधारकों को यह भी जानकारी नहीं है कि यहां वितरण के लिये किसकों पर्यवेक्षक तैनात किया गया है।
 शिकायत के बाद भी किसी तरह की कार्यवाही न होने से कार्डधारक परेशान रहते है और अधिकारी उनके शिकायत पर मजे करते है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर में गरीबों की थाली से रोटी चुराने वाला कौन है। गौरतलब हो कि गरीबों की कार्ड पर 35 किलोग्राम खाद्यान्न देने की व्यवस्था है। बीपीएल एवं अन्त्योदय कार्ड पर मिलने वाले खाद्यान्न को लेकर सभी जिम्मेदार अधिकारियों का नजरिया लगभग एक जैसा है। प्रत्येक कार्डधारकों को सिर्फ तीस किलो गेहूं दिया जाता है। आखिर इसमें भी दो से तीन किलोग्राम की घटतौली किया जाता है। कोटेदार का तर्क होता है कि जिम्मेदार अधिकारी विपणन गोदाम से खाद्यान्न उठान करते समय घटतौली करते है। 30 किग्राम की बोरी को 53 किलोग्राम की बोरी बताकर खाद्यान्न  थमा दिया जाता है। कोटेदार के शिकायत करने पर उन्हें डरा धमका दिया जाता है। अधिकारियों से शिकायत भी कर चुके है लेकिन अधिकारियों ने इस पर सार्थक कदम नहीं उठाया परिणाम स्वरूप घटतौली का सिलसिला अनवरत रूप से जारी है। ऐसे में कोटेदार कार्डधारकों को भी कम खाद्यान्न का वितरण करते है। इसका लाभ उठाते हुए पर्यवेक्षक कोटेदार के वितरण रजिस्टर का सत्यापन कर देते हैं।

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