अजादारो दुआ मांगों कोई ऐसे यतीम न हो, जैसे सकीना यतीम हुई : शादमान
जौनपुर। नगर के शिया कालेज के मैदान में शुक्रवार की रात कालेज संस्थापक मोहम्मद मोहसिन मरहूम के इसाले सवाब की विशाल मजलिस आयोजित हुई। इस मौके पर जहां उत्तर प्रदेश सरकार के दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री मौलाना जावेद आब्दी ने मजलिस को खिताब किया वहीं पूरी दुनिया में अपने दर्द भरे नौहो के जरिये ख्याति प्राप्त कर चुके पाकिस्तान के विश्व प्रसिद्ध नौहाख्वां शादमान रजा नकवी ने एक के बाद एक लगभग एक दर्जन नौहे पेश कर कर्बला में इमाम हुसैन की मजलुमी का मंजर बयां कर लोगो को रोने के लिए आमादा किया। इस दौरान कड़ाके की ठण्ड के बावजूद हजारों की तादाद में जायरीनो का सैलाब कालेज के मैदान में उमड़ा रहा। उनका दर्दनाक नौहा अजादारो दुआ मांगो कोई ऐसे यतीम न हो , जैसे सकीना यतीम हुई, शाम के जिन्दान में जब सकीना को बाबा का सर मिला , लिपटा के सर को सीने से बच्ची ने ये कहा, है शाम के जिन्दा में अँधेरे बाबा जब लोगो ने सुना तो दहाड़े मारकर रो पड़े।इसके पूर्व मजलिस की शुरुआत सोजखानी से कमर रजा, आरिज रजा के द्वारा की गयी। जिसके बाद कांग्रेस के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व एमएलसी सिराज मेहदी ने अपने मखसूस अंदाज में सलाम व मर्सिया पेश किया और उत्तर प्रदेश सरकार के दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री व प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन मौलाना जावेद आब्दी ने मजलिस को खिताब किया। इस मौके पर उन्होंने कहा की दुनिया अगर अहलेबैत का मर्तबा समझ जाती तो आपस में एख्तिलाफ न होता। आज लोग हुज्जते खुदा को अपने जैसा समझने की भूल कर बैठे हैं और एख्तिलाफ की आग में जलने लगे। जबकि अल्लाह ने कुरआन में और रसूल ने मिम्बर से अहलेबैत का मर्तबा बार बार बयान किया है। लेकिन दुनिया ने अपने स्वार्थ को अहमियत दी यहाँ तक की जिन जिन चीजों से उनकी जरूरते पूरी होती गयी उन्हें देवताओ की श्रेणी में खड़ा करते गए। जबकि लोग यह भूल गए की हुज्जते खुदा की अहमियत ज्यादा है। मजलिस के आखिर में उन्होंने मजलुमिये इमाम हुसैन बयान करते हुए उन्होंने कहा की कर्बला के मैदान में इमाम हुसैन के जितने भी सहाबी मैदान की तरफ गए उनके पीछे कोई न कोई गया। औनो मोहम्मद गए तो उनके हौसलों को बढ़ाने के लिए जनाबे कासिम, हजरत अली अकबर व हजरत अब्बास गए। लेकिन ऐसा भी वक्त आया की जब इमाम हुसैन जानिबे मकतल रवाना हुए कभी दायें जानिब देखा तो कभी बायें लेकिन कोई नहीं था जो इमाम का साथ देता पांच वर्ष की इमाम की बेटी जनाबे सकीना घोड़े के पांव से लिपटी हुई फरियाद जरूर कर रही थी कि ए मेरे बाबा के घोड़े मेरे बाबा को न ले जा क्योंकि सुबह से जो भी गया है वो जिंदा वापस नहीं आया। मजलिस के बाद विश्व प्रसिद्ध पाकिस्तान के नौहाख्वां शादमान रजा नकवी ने अपने नौहो का सिलसिला जारी रखा और एक के बाद एक मसायबी नौहे पेश किया। इस मौके पर डिग्री कालेज के प्रबंधक सिराज मेहदी, मौलाना सफदर हुसैन जैदी, शिया जागरण मंच के अध्यक्ष मौलाना हसन मेहदी, ट्रस्ट के सचिव बसपा नेता मोहम्मद हसन तनवीर, इंटर कालेज के प्रबंधक नजमुल हसन नजमी, मीना गल््र्स कालेज के प्रबंधक शमशीर हसन के साथ हजारो की संख्या में लोग मौजूद रहे। संचालन नजमुल हसन नजमी ने किया।
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