नीति आयोग ने प्याज़ की महंगाई पर दिए सुझाव
- प्याज के पैदावार में वार्षिक 13 फीसदी की बढ़ोतरी हुयी है लेकिन घरेलू और वैश्विक मांग में उत्पादन से अधिक की वृद्धि हुयी है। प्रति व्यक्ति प्याज की उपल धता वर्ष 2002-03 में चार किलोग्राम थी जो हाल के वर्षों में बढ़कर 13 किलोग्राम पर पहुंच गयी है। इसमें 12 प्रतिशत वार्षिक बढ़ोतरी हुयी है
जो हाल के वर्षों में बढ़कर 1.9 करोड़ टन पर पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि पिछले 13 वर्षों में देश में जिससे भारतीय उपभोक्ताओं का प्याज के प्रति लगाव का पता चलता है और इससे प्रत्येक परिवार का बजट भी बढ़ गया है। प्रोफेसर चंद ने कहा कि प्रति व्यक्ति उपल धता में भारी बढ़ोतरी दर्ज किये जाने के बावजूद इसकी वास्तविक कीमतों में उतार-चढ़ाव हो रहा है। उन्होंने कहा कि घर के बाहर खाने में बढ़ोतरी होने के साथ ही कई अन्य क्षेत्रों में मांग बढऩे से प्रति व्यक्ति उपभोग में भी बढ़ोतरी हुयी है। इसका मसालेदार खाने में मु य घटक के तौर पर उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हाल ही में बेमौसम बारिश और कारोबारियों की जमाखोरी से प्याज की कीमतों में तेजी देखी गयी लेकिन जब इसकी कीमतें सामान्य स्तर पर आ जाती है सब इसको भूल जाते हैं। उन्होंने कहा कि प्याज की कीमतों में एक नियमित समय में ही बढ़ोतरी होती है जो कुछ महीने तक रहती है और इसका उचित तंत्र के जरिये प्रबंधन किया जा सकता है।
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