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Thursday, 19 February 2015

मेलों में अजूबा है गोलियों वाला मेला

मछलीशहर। स्थानीय क्षेत्र के समाधगंज के ग्राम पुरवा में महाशिवरात्रि पर लगने वाले ऐतिहासिक मेले का आकर्षण होता है गोलियों का खेल। सैकड़ों वर्षों से लग रहे इस मेले में गोली खेलने का चलन कब से शुरू हुआ इस बारे में कोई विशेष जानकारी तो नहीं है लेकिन गोलियों के इस खेल का जुनून ये है कि बच्चे नौजवान और बुड्ïढ़े सभी पहुंचकर इस खेल में हाथ आजमाते हैं। बाबा रामलला दास द्वारा स्थापित संतेश्वरनाथ मंदिर पर शिवरात्रि को लगने वाले इस मेले में हालांकि तरह तरह के खेल तमाशे आते हैं। 
ग्रामीणांचलों में लगने वाले दूसरों मेलों की तरह दैनिक उपयोग की चीजे भी बिकने आती हैं लेकिन गोलियों के खेल का ऐसा आकर्षक हैं कि लोग घंटों गोलियों के इस खेल को देखते रहते हैं। इतना ही नहीं क्षेत्र के परदेश रहने वाले लोग भी इस मेले के लिये विशेष तौर पर घर वापस आते हैं और इस खेल में दांव आजमाते है। 5-5, 6-6 लोगों के गु्रपों में होने वाला यह खेल आम गोली खेलने जैसा ही लगता है लेकिन दूर तक फैले मेले के क्षेत्र में गोली खेलने वालों का जुनून देखते ही बनता है। महाशिवरात्रि के अवसर पर मुंबई से घर आये सुबाष सिंह भी मेले में पहुंचे। उन्होंने भी बचपन से खेले जा रहे इस खेल में दांव आजमाएं और ढेर सारी गोलियां जीती। 

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