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Monday 1 October 2018

जौनपुर (मडियाहूँ) । शीतलगंज पशुचिकित्सालय पर लटका मिला ताला





जौनपुर (शीतलगंज) 30 सितम्बर । पशुओं के स्वास्थ्य को लेकर निष्क्रिय प्रशासन को टीकाकरण के लिए मौका पर मौका देने के बावजूद भी स्वास्थ महकमा बेजुबानों को कागज़ पर स्वस्थ कर आला अधिकारियों को चिट्ठा सौंप रहा है । लेकिन जौनपुर समाचार टीम के संवाददाता जमीनी तहकीकात करने के लिए हर क्षेत्र में जा रहे है । इसी क्रम में (रविवार) शीतलगंज मडियाहूँ से सचिन समर की रिपोर्ट..
 बेजुबाँ कहते हो लेकिन बेजुबाँ नही है, निगाहें मिलाओ तो भी मेरे दर्द का पता चल जायेगा । खुरपका और मुंहपका जैसे गम्भीर रोगों के लिए पशुओं के दर्द का जिम्मा कौन लेगा, टीकाकरण को समय से पूरा क्यों नही किया जाता है ? माहमारी फैलने के बाद भी पशुचिकित्सक इतने लापरवाह कैसे हो सकते है क्या उन्हें किसी का डर नही? या उनका शासन में मजबूत पकड़ है ? आपातकालीन स्थिति में भी अस्पताल बन्द क्यों रहते है ? ऐसे कई सवाल थे पशुपालकों के जब हमारे संवाददाता ने उनसे बात की । 
पाली ग्राम सभा के प्रधान अमरनाथ यादव ने बताया कि गांव में इस प्रकार की कोई भी बीमारी नही है और टीकाकरण भी समय - समय पर होता रहता है । जबकि ग्रामवासियों ने अभी तक टीकाकरण न होने की बात कही ।  पाली गांव निवासी पुलक यादव का कहना था कि पशुओं के इलाज के लिए आपातकालीन व्यवस्था के नाम पर यहाँ कुछ भी मौजूद नही है, सरकारी डॉक्टर किसी भी आपात स्थिति में गाँव में आने से कतराते है । खुरपका और मुंहपका रोग के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि हम पशुपालक अपने पशुओं को साफ- सुथरा रखते है क्योंकि यह रोग गन्दगी से फैलता है इधर इस रोग का प्रकोप तो नही है लेकिन बचाव के लिए टीकाकरण अनिवार्य होता है जो कि अभी तक इधर नही हुआ है । 

जौनपुर समाचार के संवाददाता जब शीतलगंज ब्लॉक पर पहुँचे तो वहाँ पशु अस्पताल पर ताला लटकता हुआ मिला । बगल के कुछ नागरिकों से पूछने पर पता चला कि सभी चिकित्सक टीकाकरण के लिए गाँव में गये है । उनसे सम्पर्क बनाने के लिए दीवार पर लिखे गये नंबर भी खुरच दिए गये है। किसी तरह वहाँ के पशु चिकित्सक आर. बी. त्रिपाठी से सम्पर्क हुआ उनके मुताबिक मडियाहूँ ब्लॉक के अंतर्गत कुल 99 ग्रामसभाओं में 10900 के करीब पशुओं का टीकाकरण हो चुका है और अभी आगे भी किया जा रहा है । अस्पताल क्यों बन्द है जबकि एक वेटनरी फार्मासिस्ट को अस्पताल पर होना अनिवार्य है ? इस सवाल पर डॉ साहब इधर उधर की बातें करने लगे उन्होंने कहा कि वेटनरी फार्मासिस्ट शैलेंद्र कुमार सिंह भी गांव में गये हुए है ।  उनका कहना था कि अस्पताल की बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है उसी के बगल में नये भवन का निर्माण कार्य हो रहा है जल्द ही उसमे शिफ्ट कर सब व्यवस्थित कर लिया जायेगा । जौनपुर समाचार की टीम को अस्पताल पर पहुँचने की सूचना पर शैलेंद्र कुमार सिंह ने सम्पर्क किया, जब संवाददाता ने उनके अस्पताल पर तालाबंदी का कारण पूछा तो उन्होंने आढ़ा - टेढ़ा जवाब दिया उन्होंने कहा कि मैं गाँव में जाकर टीकाकरण करवा रहा था । आश्चर्य की बात ये है कि वे ईमानदारी की बात कर रहे थे या बहानेबाजी। किसी भी आपातचिकित्सा के लिए किसी जिम्मेदार चिकित्सक का अस्पताल पर न होना घोर लापरवाही है । इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा ? 

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