सड़क की दुश्मन बन रही ओवरलोड गाडिय़ां
- पुलिस वालों के नोट थामते ही मिलता है गाडिय़ों को प्राइवेट परमिट
जौनपुर। सरकार द्वारा विकास के लिए खर्च किये जाने वाले हजारों करोड़ों रूपये के रिश्वत के दस रूपये से कैसे कम हो जाते है। इसकी बानगी उत्तर प्रदेश में देखने को मिल रही है। यहां हर वर्ष सड़कों के सुन्दरीकरण व मरम्मत के नाम पर करोड़ों रूपया लगातार सड़कों को गड्ढïामुक्त बनाने का प्रयास किया जाता है लेकिन इन सड़कों पर मानक से कई गुना अधिक माल लोडकर चलने वाली गाडिय़ां महज कुछ महीनों में ही सड़कों को उखाड़ फेंकती है। इन ओवरलोड गाडिय़ों द्वारा करोड़ों की सड़क पर चलने तथा उसे उखाडऩे का अघोषित परमिट जिलो के चौराहों तथा सीमाओ पर खड़ी पुलिस महज दस रूपये में ही दे देती है। आमजन मानस के आवश्यकता की वस्तुओं को पूरे देश में पहुंचाने के लिए सड़क मार्ग ही सबसे प्रमुख माध्यम है। एक राज्य से दूसरे राज्य में जाना हो चाहे उप्र हो के जिलों में माल सप्लाई करना हो किसी जिले के दूरस्थ स्थानों तक रोजमर्रा की वस्तुओं को पहुंचाना हो हर परिस्थिति में कंपनियों को सड़क मार्ग का ही सहारा अपने माल को पहुंचाने के लिये करना प ड़ता है। सड़क मार्ग द्वारा माल पहुंचाने में रेलन की अपेक्षा खर्च तो अधिक आता है परंतु कई स्थानों तक पहुंचने की संभावना नहीं हो पाती है। ऐसे में ट्रक से लेकर पिकअप व अन्य छोटे वाहनों को माल वाहक के रूप में प्रयोग किया जाता है लेकिन डीजल के महंगा होने के कारण इन माल वाहनों से माल पहुंचाना एक ओर महंगा पड़ता है वहीं सड़कों की खराब स्थिति के चलते वाहनों की दुर्दशा हो जाती है। सड़कों पर बड़े बड़े गड्ïढों को देखकर एहसास ही नहीं होता कि सड़क में गड्ïढा है कि गड्ïढ़े में सड़क है। इस परिस्थिति में छोटे के साथ ही बड़े ट्रक भी अक्सर खराब होते रहते है। जिसके चलते एक ट्रांसपोर्टर मानक से अधिक माल लोड करने से गुरेज नहीं करते है।एक आंकड़े के मुताबिक जहां 6 चक्का ट्रक में 8 से 10 टन तथा 10 चक्का ट्रक में 12 से 15 टन माल लोड किया जाना चाहिये वहीं चक्कर बचाने तथा मुनाफा अधिक कमाने के फेर में ट्रक वाले 6 चक्का पर 40 टन तथा 10 चक्का ट्रक पर 60 टन तक माल लोड करने से भी गुरेज नहीं करते है। वहीं दूसरी तरफ सड़कों के निर्माण के समय ही उसकी क्षमता निर्धारित कर दी जाती है। गांव की सड़कों से लेकर सड़क की हाइवे की सड़कों का निर्माण उस पर चलने वाले वाहनों के अनुसार ही किया जाता है। इसके साथ ही सड़कों पर कितने भार का वाहन गुजरेगा इस बात का निर्देश पहले से ही हो जाता है। ऐसे में मानकों के अधिक भार वाले वाहनों के सड़क से गुजरने से जहां सड़क नीचे को धंस जाती है तो वहीं टायरों के मार से सड़क से टायर व गिट्ïटी भी उखडऩे लगती है जिसके चलते सड़कों में टूटफूट धीरे धीरे बड़े गड्ïढों में बदल जाती है। ट्रको में ओवरलोडिंग सड़कों को उखाडऩे के साथ ही दुर्घटना के लिये खतरनाक है जिसे रोकने के लिये प्रदेश के जिलों तथा जिलों के विभिन्न थानों पर पुलिस की ड्ïयूटी लगती रहती है। साथ ही ओवरलोडिंग को रोकने के लिये आरटीओ विभाग की भी जिम्मेदारी होती है। बाजवूद इसके ओवरलोडिंग गाडिय़ों को देखकर गाड़ी जमा करने व चालान काटने के बजाय इन पुलिस वालों की बांछे खिल जाती है। और गुजरने वाली गाड़ी के पास पहुंचकर रोकते तो है लेकिन अभ्यस्थ हो चुके ट्रक के ड्राइवर व खलासी दस रूपये का नोट थमाकर आगे बढ़ जाते है। जिसे पुलिस वालों द्वारा थामते ही ओवरलोडिंग के लिये प्राइवेट परमिट मिल जाता है।
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