बादे रसूल करती थी फ रियाद सैय्यदा ,बाबा मेरे बाबा
जौनपुर । शिराज़ेहिंद की गंगा जमुनी तहजीब को अपने दामन में समेटे और हिन्दू मुस्लिम एकता की प्रतिक अंजुमन जाफरिया के तत्वाधान में कर्बला के प्यासे शहीदों की याद में शनिवार की रात से शुरू अंतर राष्ट्रिय कदीम तरही शब्बेदारी स्थानीय कल्लू मरहूम के इमामबाड़े में रविवार को संपन हुयी । शब्बेदारी में देश विदेश से आये हुए सोगवारो ने लगातार मातम कर आंसुओ का नजराना इमाम हुसैन को पेश कर फफक फफक कर रोते रहे । दुबई से आये विश्व के माने जाने नौहा खा फरमान आब्दी ज़न्गीपुरी ने नौहा ऐ मेरे बाबा जान, बादे रसूल करती थी फरियाद सैय्यदा, बाबा मेरे बाबा पढ़ा तो वहा उपस्थित इमाम हुसैन के मतमदारो की आँखों से मानो आंसुओ का सैलाब उमड़ पड़ा। शब्बेदारी की मजलिस को खि़ताब करते हुए कोलकता से आये मौलाना अतहर अब्बास ने कहा की इस्लाम धर्म के पर्वर्तक हजरत मोहम्मद साहेब के नवासे इमाम हुसैन ने जो कर्बला में शहादत दी है । उसकी आज तक कही कोई मिसाल नहीं है । उन्होंने कहा की शिया मुसलमानों के जन्म का मकसद ही इमाम हुसैन की शहादत पर आंसू बहाना है । क्यों की शिया वर्ग के लोग इमाम हुसैन की माँ फातिमा ज़हेरा की तमन्ना है । मजलिस की सोज्खानी समर रज़ा वा अफरोज रज़ा ने किया । पी.सी.विश्वकर्मा, शोला जौनपुरी , सबीर आज़मी ,नातिक गाजीपुरी,अकरम जौनपुरी आदि प्रमुख शायरों ने शब्बेदारी की तरह पे अपना पुख्ता कलाम पेश किया , देश के कई प्रदेशो से आयी अन्जुमनो में मुख्य रूप से अंजुमन हैदरी बनारस ,अंजुमन मुहाफिज़े अजा इलाहाबाद, अंजुमन यादगारे हुसैनी मुजफ़्फरनगर, अंजुमन पंजतनी पटना बिहार , अंजुमन मासूमिया फैजाबाद, अंजुमन सफिरे नासिरुल अजा कठघर कमाल, नौहा खा फरमान अब्दी ज़न्गीपुरी हाल मुकीम दुबई आदि के साथ दर्जनों मातमी अन्जुमनो ने नौहा वा मातम किया ,शब्बेदारी की अंतिम तकऱीर को मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना सफ़दर हुसैन जैदी ने खि़ताब करते हुए कर्बला के दिल्सोज़ मंजऱ को ऐसा दर्शाया की चारो ओर से लोग चीख पुकार करने लगे । इस मौके पर पूर्व विधान परिषद सदस्य सिराज मेहदी , बसपा नेता मोहम्मद हसन तनवीर ,शिया जागरण मंच के राष्ट्रिय अध्यक्ष मौलाना हसन मेहदी, शब्बेदारी कमेटी के जनरल सेक्रेटरी वसीम हैदर ,कल्बे हसन कल्लू, बशीर खा, हसीन असगर जैदी , मिजऱ्ा बाबु हसन मोहम्मद अब्बास आरिफ, हसनैन कमर दीपू , आरिफ हुसैनी ,के साथ भारी संख्या में महिलाये पुरुष व बच्चे मौजूद रहे । संचालन निसार हुसैन प्रिंस ने किया।
एक अख़बार जिसमे सिमटा सारा संसा
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