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Tuesday, 24 November 2020

सीबीसीआईडी की विवेचना में फंसे थानाध्यक्ष



जेल जाने के डर से नहीं किया समर्पण,सीबीसीआईडी की केस डायरी तलब करने की कोर्ट में लगाया गुहार

हत्या के मामले में पूर्व विधायक समेत तीन को हो चुकी है सजा,थानाध्यक्ष के खिलाफ भी आई है चार्जशीट 
जौनपुर- सीबीसीआईडी की विवेचना में तत्कालीन थानाध्यक्ष जलालपुर (फतेहपुर में थानाध्यक्ष)यूपी सिंह फंस गए हैं। प्रमोशन व नौकरी पर भी खतरा मंडरा रहा है।सोमवार को अदालत में समर्पण व जमानत की तैयारी से आए थे लेकिन जेल जाने की आशंका के कारण समर्पण नहीं किया।मंगलवार को सीजेएम कोर्ट में  अधिवक्ता सत्येंद्र बहादुर सिंह  के माध्यम से प्रार्थना पत्र दिया कि सीबीसीआईडी द्वारा की गई विवेचना की केस डायरी तथा स्पष्ट आख्या तलब कर ली जाए जिससे वह जमानत की कार्रवाई करा सकें।मामला जलालपुर थाना क्षेत्र में 1999 में हुई हत्या का है जिसमें पूर्व विधायक समेत तीन को सेशन कोर्ट से सजा भी हो चुकी है।थानाध्यक्ष व अन्य पुलिसकर्मियों पर आरोपियों को बचाने के लिए विवेचना में  धारा हल्की करने एवं षड्यंत्र का प्रथम दृष्टया अपराध सीबी सीआईडी विवेचना में पाया गया है। 

4 जून 1999 को शाम 5:00 बजे वादी छेदीलाल निवासी ग्राम कुसिया जलालपुर का भाई मोहनलाल अपने ससुराल पत्नी आशा को लेने मझगवा कला गया था। आरोप है कि पूर्व विधायक जगन्नाथ चौधरी ने आशा व उसकी मां बबना से सांठगांठ करके मोहनलाल की हत्या कर दिया।कोर्ट ने 2 सितंबर 2014 को तीनों आरोपियों को गैर इरादतन हत्या का दोषी पाते हुए 7 वर्ष की सजा सुनाया।इसी मामले में विवेचना के दौरान वादी ने शासन में प्रार्थना पत्र दिया था कि विवेचक थानाध्यक्ष जलालपुर उमेश प्रताप सिंह ने आरोपियों को बचाने के लिए धारा 302 को 306 आईपीसी में परिवर्तित कर दिया है।शासन के निर्देश पर विवेचना सीबीसीआईडी को सौंप दी गई।सीबीसीआईडी ने विवेचना में पाया कि थानाध्यक्ष एवं उप निरीक्षक व अन्य पुलिसकर्मी आरोपियों को बचाने के लिए गलत तथ्यों को अंकित कर साक्ष्यों का लोप किए।सीबीसीआईडी ने पुलिस कर्मियों के खिलाफ धारा 217,218,201,120B का प्रथम दृष्टया मामला पाया लेकिन इन धाराओं के साथ धारा 302,201 तथा अन्य अभियुक्तों के नाम का उल्लेख करते हुए उनके साथ ही चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दिया।आरोपी के अधिवक्ता ने न्यायालय में दरखास्त दिया कि उस पर धारा 217,218 आदि के अपराध आरोप है लेकिन सीबीसीआईडी के विवेचक ने सभी धाराओं के साथ चार्जशीट दाखिल कर दी है जबकि पुलिसकर्मी हत्या के दोषी नहीं है।सीबीसीआईडी को  हत्या की धारा अलग करके  केवल धारा 217 आदि में पुलिसकर्मियों के खिलाफ अलग से आरोप पत्र दाखिल करना चाहिए था।अब अगर थानाध्यक्ष कोर्ट में समर्पण करते हैं तो धारा 302 अन्य धाराओं के साथ होने के कारण जेल जाना पड़ेगा।

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